नईदुनिया प्रतिनिधि, रायपुर (Ayodhya Ram Darbar)। अयोध्या में बने राम मंदिर में प्रथम तल पर राम दरबार (Ram Darbar) और सप्त ऋषि मंडप की प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है। सप्त ऋषि मंडप में भगवान राम के ननिहाल छत्तीसगढ़ की माता शबरी को भी स्थान दिया गया है।
माता शबरी अब मर्यादा पुरुषोत्तम राम के दरबार में रहेंगी। माता शबरी की मूर्ति को स्थापित करने से छत्तीसगढ़ के लोग खुश हैं। हिंदू धर्म के अनुयायी और साधु-संतों का कहना है कि भक्त को दरबार में जगह देना अच्छी बात है। इससे लोगों को प्रेरणा मिलेगी। एक भक्त को भगवान के चरणों में जगह मिलती है। राम दरबार में राम-सीता व भरत-हनुमान जी की प्रतिमा बैठी मुद्रा में है, तो लक्ष्मण व शत्रुघ्न खड़े मुद्रा में हैं।
भगवान राम वनगमन के दौरान शबरी माता से भी मिले थे। माता शबरी ने बेर खिलाए थे। पिछले वर्ष राम लाल प्राण प्रतिष्ठा के दौरान यहां से बैर भेजे गए थे। साथ ही भोग के लिए चावल भी भेजा गया था।
शिवरीनारायण माता शबरी का जन्मस्थान और रामायण में शबरी और भगवान राम की मुलाकात का स्थान है। भगवान राम अपने वनवास के दौरान रुके थे। यह छत्तीसगढ़ राज्य के जांजगीर-चांपा जिले में महानदी, शिवनाथ और जोंक नदी के त्रिवेणी संगम पर स्थित है।
यहां शबरी मंदिर और भगवान लक्ष्मी नारायण का मंदिर भी है। शिवरीनारायण को माता शबरी की जन्मस्थली और भगवान राम की वनवास यात्रा के दौरान एक महत्वपूर्ण स्थान के रूप में माना जाता है।
माता शबरी के जन्मस्थली शिवरीनारायण के महंत डा. रामसुंदर दास जी ने कहा, ‘जब अयोध्या में राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी, उस समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शबरी माता का उल्लेख किया था। अब राम दरबार में माता शबरी को स्थान मिलना छत्तीसगढ़ वासियों के लिए गर्व का पल है।’
‘जो भी दर्शनार्थी अयोध्या जाएगा, वहां पर माता शबरी को देखकर इतिहास जानेगा। इसके बाद लोग माता शबरी के जन्म स्थली को देखने भी आएंगे। छत्तीसगढ़ की पहचान देश और विदेश में भी पहचान बनेगी।’
पंडित मनोज शुक्ला, पुजारी महामाया मंदिर, रायपुर ने कहा, ‘भगवान के चरणों में ही भक्त का उचित स्थान होता है। माता शबरी भगवान राम की अनन्य भक्त रहीं हैं। उन्हें राम दरबार में स्थान दिया गया है। ये बहुत अच्छी बात है। माता शबरी के प्रसंग को सुनकर लोग भक्ति करने के लिए प्रेरित होंगे। साथ ही शबरी के प्रसंग से छत्तीसगढ़ को भी एक नई पहचान मिलेगी।’
स्वामी राजेश्वरानंद, संस्थापक सुरेश्वर महादेव पीठ के अनुसार, ‘माता शबरी भगवान राम की अनन्य भक्त थीं। भगवान भी अपने भक्त को कभी निराश नहीं करते हैं, यहीं कारण है कि वनगमन के दौरान माता शबरी को भगवान राम ने दर्शन दिए थे। शबरी माता का अयोध्या राम मंदिर में स्थापित होना अच्छी बात है। लोग शबरी माता के जन्म स्थान भी आएंगे। जिससे छत्तीसगढ़ में पर्यटन भी बढ़ेगा।’