- मनीषा कौशिक
आध्यात्मिक ज्ञान पाना एक कठिन उपलब्धि है और इसके लिए अत्यंत अनुशासन व समर्पण की आवश्यकता है।
आध्यात्मिक ज्ञान की ओर काफी लोग आकर्षित हो रहे हैं। आध्यात्मिक ज्ञान की अनुभुति बहुत ही सुंदर व गहरा महत्व लिए हुए है परंतु हममें से कितने लोग हैं जो इसके महत्व को समझते हैं?
उनके लिए जिन्होंने अभी तक इसका स्वाद नहीं चखा या इसका अनुभव नहीं किया, इसे अपने अंहकार को खुद से अलग करने में परिभाषित किया जा सकता है।
यह प्रक्रिया आपको परमात्मा के करीब ले जाएगी और जीवन के असली उद्देश्य को प्रकाशित करेगी। यह आपको सत्य में आप क्या हैं, से अवगत करवाने और आपके अस्तित्व के उद्देश्य को अनावरित करने में मदद करता है।
यह निश्चित रूप से एक कठिन (लेकिन असंभव नहीं) उपलब्धि है और इसके लिए अत्यंत अनुशासन और समर्पण की आवश्यकता है। जो इसकी तलाश में अग्रसर हैं उनके लिए इस मार्ग को समझने की जरूरत है। आध्यात्मिक ज्ञान के पक्ष को समझने से पहले इन खास 7 लक्षणों को समझें-
1. बचपन और मार्मिक रिश्तों पर गौर करना: बचपन हमारे जीवन का पहला चरण है और हम में से कुछ कठिनाइयों के दौर से निकलें होंगे। कुछ एक के अनुभव अच्छे नहीं होंगे। तनावपूर्ण रिश्तों से या हमारे मन में वो जख्म हो सकते हैं जो हमारे वर्तमान जीवन को भी प्रभावित व दुखी करते हैं।
आत्मिक विकास के लिए यह अवश्यक है कि हमने मन के वे जख्म भरे हुए हों और टूटे रिश्तों में तनाव खत्म हों। हमारे अतीत के दुख व तनाव खत्म होने से ही हमें जीवन और अन्य नए रिश्तों को बनाने की दिशा में एक बेहतर और सकारात्मक नजरिए को पाने में मदद मिलती है। एक बेहतर भविष्य के निर्माण के लिए हमारे अतीत जीवन की नींव को मजबूत करने की जरूरत है।
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परिवार हमारे जीवन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है और उनके प्रति हमारा व्यवहार ही यह निर्धारित करता है कि हम किस प्रकार के व्यक्तित्व के मालिक हैं। इस प्रकार आध्यात्मिक ज्ञान के अपने लक्ष्य को शुरू करने के लिए हमें हमारे परिवार के सदस्यों के साथ खुशहाल व स्वस्थ संबंधों की अवश्यकता है। जो हुआ सो हुआ। जो आपको अब तक परेशान करता आ रहा है, उसे भूलकर, क्षमा कर एक परिपक्व व्यक्ति बनें।
2. सुविधाओं का त्याग करें: हमें सुविधाओं से, आराम से, प्यार है और जब हम अत्यधिक सहज हो जाते हैं तो हम अपने आसपास एक सुविधाओं भरा बुलबुला बना लेते हैं और उसमें अपने अनमोल जीवन को व्यतीत करते हैं। हम जीवन के अनुभवों के बिना आत्मज्ञान की किसी भी अनुभूति को कैसे प्राप्त कर सकते हैं।
जो लोग आध्यात्मिक ज्ञान की ओर अग्रसर हैं वे अपने सुविधा क्षेत्र (सुविधाओं) का त्याग करते हैं। उस पथ पर चलें जहां सुविधाएं कम हों। नई संस्कृतियों, स्थानों, लोगों की छानबीन करने से व खोजने से उनके बारे में पता लगाने से हमें आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।
3. जिन रिश्तों के भार से आप दबे जा रहे हो उन्हें त्याग कर उनसे छुटकारा पाना: हम हर रोज विभिन्ना प्रकार के लोगों का सामना करते हैं। जहां हम कभी-कभी अच्छे रिश्ते बनाते हैं, कभी बेकार व शिथिल रिश्ते भी बनते हैं।
जो रिश्ते सिर्फ दुख का कारण हों उन्हें हम भूल भी सकते हैं और उन्हें हम क्षमा भी कर सकते हैं परंतु उन रिश्तों का त्याग कर हमें आगे बढ़ना भी आना चाहिए। उन रिश्तों के साथ बंधकर आप अपने साथ सही नहीं कर रहे होते। ये याद रखें हम तभी खुश रह सकते हैं जब हमारे चारों ओर सकारात्मक लोग हों।
इसका कारण यह है की हम एक स्पंज की तरह हैं। हम अपने आसपास के लोगों से ऊर्जा ग्रहण करते हैं। इसका मतलब यह है कि जब हम लोगों से अपने विचारों का आदान-प्रदान करते हैं तो हम उनकी जो विकीर्ण नकारात्मक विचारधारा है उसे स्वत: ही आत्मसात कर लेते हैं।
जो लोग आपकी तरक्की, खुशी और आगे बढने से अप्रसन्ना हैं और जो कृत्रिम रूप से अपनी प्रसन्नाता प्रदर्शित करते हैं, उनमें अंतर करना सीखें। कृत्रिम छवि वाले लोग खतरनाक होते हैं। जो आपकी प्रगति में रोड़ा बनकर रुकावट पैदा कर सकते हैं।
4. अच्छे स्वास्थ्य के महत्व को जानना: हमारा शरीर एक मंदिर है क्योंकि यहां हमारी आत्मा का निवास है। अच्छी आत्मा के लिए हमें स्वस्थ शरीर और मन की आवश्यकता है।
हम स्वस्थ तब हैं जब हमारे शरीर, मन और आत्मा में संतुलन हो। अच्छे स्वास्थ्य के लिए सही भोजन, व्यायाम और गहरी नींद की जरूरत है। एक स्वस्थ व्यक्ति के साथ बात करने पर आपको पता चल जाएगा कि आप कितने धन्य हैं जो भगवान ने आपको एक स्वस्थ शरीर दिया है और खुद की देखभाल करना यह संकेत है की परमात्मा द्वारा दिए गए जीवन का सम्मान करते हैं।
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5. ज्ञान के लिए अंतहीन खोज: सीखने का कभी कोई अंत नहीं होता। छोटे बच्चों को देखिए, वे हमेशा उत्सुक और अपने प्रश्नों के उत्तर की तलाश में रहते हैं। जो लोग आध्यात्मिक ज्ञान को पाना चाहते हैं वे भी हर दिन भिन्ना ज्ञान के रहस्यों को जानना चाहते हैं।
वे दूसरों के साथ बातचीत से जीवन और उसके आसपास की दुनियां की खोज में ज्ञान प्राप्त करते हैं। अपने मन के नए विचारों और जानकारी के लिए खुला रखें।
इससे आपको प्रेरणा प्राप्त होगी व आप जीवन में निरंतर ज्ञान को अर्जित करने के लिए प्रेरित होंगे। वास्तविक जीवन के अनुभवों से अर्जित ज्ञान आपको खुशी और संतुष्टि की भावना देता है।
जीवन को सीखना भी एक प्रकार का विकासवाद है। जिनमें ज्ञान को प्राप्त करने की अंतहीन इच्छा है। केवल उनको ही अध्यात्मिक ज्ञान पाने का जीवन में मौका मिलता है।
6. सकारात्मकता फैलाएं: आपने गौर किया होगा, कुछ लोगों के कमरे के भीतर प्रवेश करते ही एकदम से सकारात्मक किरणों का प्रकाश होता है। वे सकारात्मकता से इतने अधिक प्रकाशमान होते हैं कि उनके साथ रहने में हमें प्रसन्नाता होती है। जबकि कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनकी उपस्थिति मात्र हमें खलती है और हम स्वयं उनसे दूर भागना चाहते हैं।
हमारे विचार और भावनाएं इतनी मजबूत हैं कि वे हमारे आसपास के प्रभामण्डल में एक दिव्य ज्योति पैदा कर सकती हैं। जब आपके अंदर अच्छे विचार और भावनाएं निवास करती हैं तब आपसे सकारात्मक किरणें प्रवाहित हो प्रभामण्डल में फैलती हैं।
नकारात्मक ऊर्जा आपकी जिंदगी से अच्छाई और खुशी छीन लेती है, चाहे परिस्थितियां कितनी भी सकारात्मक क्यों न हों। केवल सकारात्मकता के साथ ही हम जीवन की सुंदरता का अनुभव कर सकते हैं और आध्यात्मिक विकास के लिए यह अनिवार्य है।
7. जीवन को प्राथमिकता दें: जीवन एक उपहार है। आप इस उपहार के मूल्य को कितना महत्व देते हैं? जो लोग जीवन में केवल पैसा कमाने और पदार्थवादी सहूलियतों को इकट्ठा करने के लिए जीते हैं वे असल में नुकसान में हैं।
इसका मतलब वे केवल जीते हैं पर वास्तव में जीवन का आनंद नहीं उठाते और जीवन का सम्मान नहीं करते। खुशी की खोज वहां से शुरू होती है जब आप जो भी काम करें, प्यार से करें।
जब आप यह बात जान जाएंगे तो आपको जीवन का अनुभव होगा। जब आप वह करें, जिससे आपको खुशी मिले, तो सारे संसार की खुशियां स्वत: ही आपके दरवाजे पर दस्तक देंगी।