सकारात्मक सोच में चिंतन का महत्व
इनमें से अधिकांश नकारात्मक होते हैं। संभावनापूर्ण चिंतन सकारात्मक विचारों को नकारात्मक विचारों से अलग करता है।
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Publish Date: Thu, 26 Feb 2015 02:54:51 PM (IST)
Updated Date: Mon, 02 Mar 2015 11:40:45 AM (IST)

चिंतन एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। इसमें नए विचार आपके दिमाग में आते हैं जो निर्णय लेने में सहायक होते हैं। चिंतन में आए विचार की तुरंत प्रतिक्रिया होती है। विचार को आप पसंद करते हैं या नापसंद लेकिन आपका विवेक विचार को मूर्त रूप देने के लिए अच्छा या बुरा के बारे में सोचता है। और इस तरह से आप सही निर्णय को जानकर संभावनाओं का चुनाव करते हैं।
ऐसे करें चिंतन
- आप हर तरह की संभावनाओं के बारे में सोचें।
- दिमाग को खुला छोड़ दें और जो भी आपके सामने आए उस पर विचार करें।
- वास्तविक विश्लेषण करें, क्योंकि आप स्वयं जानते हैं।
- विवेक से काम लेकर असंभव शब्द को अलग कर दें।
सकारात्मक चिंतन पर सकारात्मक प्रेरक 'रॉबर्ट एच. शुलर' के विचारों से प्रेरणा लेना चाहिए। उनके विचारों के अनुसार, 'संभावनापूर्ण चिंतन विचारों का मैनेजमेंट है। औसत मस्तिष्क में हर दिन दस हजार विचार आते हैं।
इनमें से अधिकांश नकारात्मक होते हैं। संभावनापूर्ण चिंतन सकारात्मक विचारों को नकारात्मक विचारों से अलग करता है। संभावनापूर्ण चिंतक हर विचार में यह खोजते हैं कि क्या इसमें संभावना है।' इसीलिए हमेशा अपने सहयोगियों की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
उनका मानना था कि महान व्यक्तियों का जीवन चरित्र बताता है कि उनकी सफलता में उनके सहयोगियों का कितना अधिक स्थान था। उन्होंने कुछ उदाहरण देकर यह बात स्पष्ट की।
- अकबर ने बादशाह बनने पर अपने नवरत्नों (सलाहकारों) की मदद से राज्य का प्रबंधन कुशल तरीके से किया।
- महाभारत-काल का अर्जुन व्याकुल था। वह कुशल योद्धा था, परंतु उसकी सोच स्पष्ट नहीं थी। अर्जुन का राज्य ले लिया गया था, अर्जुन की पत्नी द्रोपदी का अपमान किया गया, युद्ध के मैदान में भी वह निश्चित नहीं था कि वह अपने रिश्तेदारों, गुरुओं और अपने मित्रों करे या न करे। इससे अपने सखा श्रीकृष्ण को सलाहकार बनाया और तब उनके परामर्श से वह इतिहास बनाने में सफल हो सके।
जर्मनी के जीव वैज्ञानिक एयरलिक के मधुर व्यवहार व संबंधों से प्रभावित होकर उनके सहयोगी समर्पण की भावना से काम करते थे। एक धनी विधवा ने प्रयोगशाला बनाने के लिए उन्हें धन दिया था, जिसके बदले में उन्होंने अपनी प्रयोगशाला का नाम उसके पति के नाम पर रख दिया।
इटेलियन फिजिस्ट मारकोनी( 1874-1937) में उत्साहपूर्ण सहयोग पाने की अपूर्व क्षमता थी और इसी गुण की वजह से उन्होंने 35 वर्ष की उम्र में यानी ( 1909) में भौतिकी का नोबल पुरस्कार मिला।
ब्रिटेन के प्रसिद्ध फिजिसिस्ट अर्नेस्ट रदरफोर्ड (1871-1937) के साथ सहयोग करने वाले कई प्रसिद्ध वैज्ञानिक भी थे। उनकी व्यंग्य शैली की क्षमता के कारण ही वह अपने साथियों का काम का बोझ हल्का करते रहते थे।