- नरेश सिंगल, वास्तु विशेषज्ञ
प्लॉट खरीदते हुए वास्तु नियमों का ध्यान न रखने पर नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसी संपत्ति आपके जीवन में शांति की जगह कष्ट पैदा करती है। अपने घर का सपना बेहद खास होता है। खासकर तब जब आप किराए के मकान में रह रहे हों, हर किसी की यही चाहत होती है कि काश हमारा खुद का छोटा-सा आशियाना हो, जिसे मनमुताबिक सजा सके।
घर के बारे में सोचते ही जमीन लेकर मनमुताबिक घर बनवाने की इच्छा पैदा होती है। हर किसी का प्लॉट लेने का मकसद अलग-अलग होता है कोई घर बनवा कर रहने के लिए प्लॉट की खरीदारी करता है, तो कोई इन्वेस्टमेंट के उद्देश्य से।
कभी-कभी लोग भविष्य की परिस्थितियों को देखते हुए अपनी जरूरत के अनुसार प्लॉट क्रय कर लेते हैं। इसमें ऐसे प्लॉट का भी चयन कर लिया जाता है जो कि टेढ़ा-मेढ़ा होने पर या कुछ त्रुटियां होने पर कम दाम में उपलब्ध होता है, फिर उस पर यह सोचकर निर्माण भी करवा लिया जाता है कि जब तक बच्चों की पढ़ाई पूरी नहीं होती आप उसे किराए पर दे देंगे या फिर अच्छा दाम मिलने पर उसे बेचकर कहीं और इन्वेस्ट कर देंगे।
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लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद ना तो वह किराए पर चढ़ पाता है ना ही बिक पाता है, क्योंकि वह वास्तु सम्मत नहीं है, इसी वजह से उस भूखंड का उपयोग योजना अनुरूप नहीं हो पाता।
क्या प्लॉट बिक नहीं रहा है?
आपने जो प्लॉट इन्वेस्टमेंट के लिहाज से खरीदा है वो बिक नहीं पा रहा है? आपको अपने घर और दुकान के लिए अच्छे किराएदार नहीं मिल रहे हैं? आप कानूनी मसलों में फंसे हैं? संपत्ति के लिए आपने जो लोन लिया था, उसे चुकाने में दिक्कत हो रही है? नए घर में आप हमेशा बीमार व तनावग्रस्त रहते हैं?
जो बच्चे हमेशा क्लास में फर्स्ट आते थे वे अब पढ़ने से जी चुराने लगे हैं? पति-पत्नी के बीच बिना बात के मनमुटाव हो जाता है? अगर आप इस तरह की परेशानियों से दो-चार हो रहे हैं, तो इसका मतलब यह है कि आपने अपने लिए जो प्लॉट खरीदा है, वहां वास्तु दोष है। आपने प्लॉट खरीदते हुए वास्तु नियमों का विशेष ध्यान नहीं रखा है और ये उसी से जुड़ी परेशानियां हैं।
टी-प्वाइंट भी फायदेमंद
यदि प्लॉट खरीद भी लिया है और वह वास्तु सम्मत नहीं है, तो उसे ठीक करने के लिए आसान वास्तु उपाय हैं, जिसके माध्यम से आप अपने प्लॉट के दोष को दूर कर सकते हैं। अपने लिए प्लॉट की खरीदारी करने जा रहे हैं, तो इन बातों का ध्यान रखें कि अगर आपको खरीदारी के लिए कोई ऐसा प्लॉट मिल रहा है, जिसमें उत्तर-पूर्व बढ़ा हुआ है, तो फिर ऐसे प्लॉट को खरीदने में देरी ना करें।
अगर आप इसे इन्वेस्टमेंट के लिहाज से खरीद रहे हैं या फिर मकान बनवाने के लिए यह शुभ और लाभ प्रदान करने वाला है। लेकिन इसका भी उचित अनुपात होता है, जिसे किसी वास्तु जानकार को दिखाकर ही प्लॉट खरीदें।
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यदि उत्तर, उत्तर-पूर्व या पूर्व का टी प्वांइट वाला प्लॉट मिल रहा हो, तो उसे अधिक पैसे देकर भी ले लेना चाहिए, क्योंकि यह कई तरह से फायदेमंद होता है। मुंबई के प्रसिद्ध महबूब फिल्म स्टूडियो में भी पूर्व का टी प्वांइट है, जो कि उसकी प्रसिद्धि का एक मुख्य कारण है।
जब प्लॉट में बढ़ा हो कोई कोना
यदि कोई प्लॉट एक ही लाइन में बढ़ा हुआ है, जिसमें उत्तर-पश्चिम, उत्तर व उत्तर-पूर्व तीनों ही जोन बढ़े हों तो लोग यह सोचकर कि ईशान कोण बढ़ा हुआ है तो यह शुभ होगा, उस प्लॉट की खरीदारी कर लेते हैं, जो कि गलत है। ऐसे प्लॉट में ईशान कोण ही नहीं वायव्य कोण भी बढ़ गया है जो कि रोग व अनावश्यक खर्च का कारण बन सकता है।
कानूनी अड़चनें, नौकरों के द्वारा किए गए अपराध का शिकार, चोरी व दुर्घटना का भय रहता है। आग्नेय कोण से उत्तर-पूर्व तक बढ़ते जाने वाला प्लॉट कई वास्तुदोषों से युक्त होता है। ऐसे प्लॉट की वजह से कानूनी अड़चनें, नौकरों का जुर्म करना आदि देखने को मिलते हैं। चोरी होने का खतरा भी होता है।
व्यावसायिक नुकसानों का कारण
प्लॉट में दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। जैसे ही इस दिशा का कोण घटता या बढ़ता है या भूखंड की ढलान इस जोन में होती है, तो व्यावसायिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। यदि भाग्य स्थिति भी ठीक नहीं हो तो सब कुछ समाप्त होने की कगार पर भी आ जाता है।
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क्या है परेशानी का कारण
प्लॉट वास्तु सम्मत न होना। पंचतत्वों का संतुलित ना होना। दिशा क्षेत्र घटा या बढ़ा होना। प्लॉट की फेंसिंग वास्तुनुकूल न होना। स्ट्रेस जोन ठीक ना होना। उत्तर-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम कटा होना या वहां पर लाल रंग का होना। इन सारी बातों के अलावा यह देखना भी जरूरी होता है कि आपकी प्रॉपर्टी को बिकने में या फिर किराए पर चढ़ाने में दिक्कत क्यों आ रही है। इसका पता लगाकर समस्या के जोन को ठीक करना चाहिए।
प्लॉट के पास न हो श्मशान
दिशाओं के साथ-साथ वहां के चुंबकीय क्षेत्र तथा कॉस्मिक एनर्जी का ध्यान रखें।
प्लॉट के आस-पास कोई श्मशान घाट, अस्पताल, शॉपिंग मॉल और धार्मिक स्थल ना हों।
सभी के लिए शुभ-अशुभ दिशा अलग-अलग होती है। घर के मुखिया की जन्मतिथि के आधार पर ही मुख्यदिशा का चुनाव करें।
दिशा हमेशा भूखंड के मध्य से देखें।