धर्म डेस्क, इंदौर। हिंदू धर्म में यह माना गया है कि हर विवाहित स्त्री को श्रृंगार जरूर करना चाहिए। स्त्री को अपने माथे पर बिंदी, पैर पर भी आभूषण पहनने चाहिए। इनको सोलह श्रृंगार कहा गया है। सोलह श्रृंगार में बिंदी, मेहंदी, चूड़ी, काजल, मंगलसूत्र, झुमके, मांग टीका, कमरबंद, बाजूबंद, पायल, बिछिया, अंगूठी आदि आभूषण आते हैं।
कई कुंवारी लड़कियां यह सोचती हैं कि वह अपने पैरों में बिछिया पहन सकती हैं कि नहीं, क्यों कि भारत में महिलाएं ही शादी के बाद बिछिया पहना करती हैं। अब ऐसे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से समझिए कि कुंवारी लड़कियां बिछिया पहन सकती है?
शास्त्रों में ऐसा माना गया है कि महिला की शादी होने के बाद सिंदूर, मंगलसूत्र और पैरों में बिछिया ही उसकी पहचान हैं। महिलाएं बिछिया पैर की दूसरी उंगली में पहनती हैं, जिससे वह आकर्षित लगें। बिछिया को पहनने से वह सुंदर भी लगती हैं और यह शुभ भी होता है, क्यों कि यह माता लक्ष्मी का प्रतीक है। दुर्गा पूजा के समय मां दुर्गा भी बिछिया पहनती हैं। हिंदू धर्म में कुंवारी कन्याओं का बिछिया पहनना शुभ नहीं माना जाता है, इसलिए वह नहीं पहनती हैं।
हिंदू धर्म में बिछिया को विवाहित महिला ही पहनती है, क्यों कि वह उसके सुहागिन होने की निशानी है। कुंवारी लड़कियां पैर की अंगुली में बिछिया नहीं पहनती हैं, क्यों किक इसे विवाह के बाद ही पहनना शुभ माना जाता है। फिर भी आपके घर में पहले से कुंवारी लड़कियां बिछिया पहनती आ रही हैं, तो आप परिवार के बुजुर्गों की सलाह पर पहन सकते हैं।