धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा तिथि की रात को लगता है, जबकि सूर्य ग्रहण अमावस्या तिथि पर होता है। खगोल विज्ञान की दृष्टि से जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में आ जाते हैं, तो पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है और चंद्र ग्रहण बनता है।
साल 2025 का आखिरी चंद्र ग्रहण 7 सितंबर की रात लगेगा। ग्रहण की शुरुआत रात 9:58 बजे होगी। इसका उच्च काल यानी पूर्ण चंद्र ग्रहण 11:41 बजे रहेगा, जब चांद लालिमा लिए नजर आएगा जिसे ब्लड मून कहा जाता है। यह ग्रहण 1:26 बजे समाप्त होगा।
ग्रहण का सूतक काल दोपहर 12:56 बजे से शुरू हो जाएगा और ग्रहण समाप्त होने पर खत्म होगा। इस दौरान मंदिरों के पट बंद रहते हैं और भोजन पकाना वर्जित माना जाता है। हालांकि मंत्र-जप और ध्यान करना शुभ माना जाता है।
मेष : हनुमान जी की उपासना करें, सुंदरकांड का पाठ करें।
वृषभ : शिव पूजन करें, महामृत्युंजय मंत्र जपें और दान करें।
मिथुन : स्नान कर “ॐ नमो नारायणाय नमः” का जप करें।
कर्क : सफेद वस्तुओं का दान करें।
सिंह : अनाज दान करें, सूर्य देव के नामों का जाप करें।
कन्या : मां दुर्गा की उपासना व दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
तुला : चावल दान करें और लक्ष्मी पूजन करें।
वृश्चिक : हनुमान चालीसा का पाठ करें।
धनु : हनुमान जी की पूजा कर बूंदी का भोग लगाएं।
मकर : शनि मंदिर में तेल चढ़ाएं, “ॐ नमः शिवाय” जपें।
कुंभ : काली वस्तुओं का दान करें।
मीन : विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
इस चंद्र ग्रहण के दौरान आध्यात्मिक साधना, दान और मंत्र-जप से सकारात्मक फल प्राप्त किए जा सकते हैं।