भारतीय धर्म और संस्कृति में भगवान गणेशजी सर्वप्रथम पूजनीय और प्रार्थनीय हैं। उनकी पूजा के बगैर कोई भी मंगल कार्य शुरू नहीं होता। सभी देवों में भगवान श्री गणेश की पूजा सबसे पहले की जाती है। श्री गणेश सभी प्रकार के विघ्न को दूर करते हैं। बुद्धि, विवेक का अशीष देने के साथ ही आपके सभी कार्यों को सफल व सार्थक बनाते हैं। बुधवार भगवान श्री गणेश एवं बुध देव को समर्पित है। प्रत्येक बुधवार को गणेश भगवान की पूजा करने से आपके सभी कष्ट दूर होते हैं। इस दिन गणपति का पूजन, स्तोत्र पाठ और मंत्रोच्चारण से व्यक्ति का कल्याण होता है। पार्वती पुत्र को समर्पित एक वैदिक प्रार्थना गणपति अथर्वशीर्ष है। ऐसी मान्यता है कि प्रतिदिन भगवान गणेश का अथर्वशीर्ष पाठ करने से घर और जीवन के अमंगल दूर होते हैं। आइए जानते हैं इसके लाभ और किन लोगों को ये जरूर करना चाहिए।
ॐ नमस्ते गणपतये।
त्वमेव प्रत्यक्षं तत्वमसि।।त्वमेव केवलं कर्त्ताऽसि।
त्वमेव केवलं धर्तासि।।त्वमेव केवलं हर्ताऽसि।
त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि।।त्वं साक्षादत्मासि नित्यम्।
ऋतं वच्मि।। सत्यं वच्मि।।अव त्वं मां।। अव वक्तारं।।
अव श्रोतारं। अवदातारं।।अव धातारम अवानूचानमवशिष्यं।।
अव पश्चातात्।। अवं पुरस्तात्।।अवोत्तरातात्।। अव दक्षिणात्तात्।।
अव चोर्ध्वात्तात।। अवाधरात्तात।।सर्वतो मां पाहिपाहि समंतात्।।
त्वं वाङग्मयचस्त्वं चिन्मय।त्वं वाङग्मयचस्त्वं ब्रह्ममय:।।
त्वं सच्चिदानंदा द्वितियोऽसि।त्वं प्रत्यक्षं ब्रह्मासि।
त्वं ज्ञानमयो विज्ञानमयोऽसि।।सर्व जगदिदं त्वत्तो जायते।
सर्व जगदिदं त्वत्तस्तिष्ठति।सर्व जगदिदं त्वयि लयमेष्यति।।
सर्व जगदिदं त्वयि प्रत्येति।।त्वं भूमिरापोनलोऽनिलो नभ:।।
त्वं चत्वारिवाक्पदानी।।त्वं गुणयत्रयातीत: त्वमवस्थात्रयातीत:।
त्वं देहत्रयातीत: त्वं कालत्रयातीत:।त्वं मूलाधार स्थितोऽसि नित्यं।
त्वं शक्ति त्रयात्मक:।।त्वां योगिनो ध्यायंति नित्यम्।
त्वं शक्तित्रयात्मक:।।त्वां योगिनो ध्यायंति नित्यं।
त्वं ब्रह्मा त्वं विष्णुस्त्वं रुद्रस्त्वं इन्द्रस्त्वं अग्निस्त्वं।
वायुस्त्वं सूर्यस्त्वं चंद्रमास्त्वं ब्रह्मभूर्भुव: स्वरोम्।।
गणादिं पूर्वमुच्चार्य वर्णादिं तदनंतरं।।अनुस्वार: परतर:।।
अर्धेन्दुलसितं।।तारेण ऋद्धं।। एतत्तव मनुस्वरूपं।।
गकार: पूर्व रूपं अकारो मध्यरूपं।
अनुस्वारश्चान्त्य रूपं।। बिन्दुरूत्तर रूपं।।
नाद: संधानं।। संहिता संधि: सैषा गणेश विद्या।।
गणक ऋषि: निचृद्रायत्रीछंद:।। गणपति देवता।।
ॐ गं गणपतये नम:।।
1.ऐसे जातक जिनकी कुंडली में राहु, केतु और शनि का अशुभ प्रभाव पड़ रहा हो उनके लिए ये पाठ बहुत लाभदायक है। ऐसे व्यक्ति को प्रतिदिन गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करना चाहिए। इससे व्यक्ति के दुखों का अंत हो जाता है।
2.यदि आपको बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लग रहा है या फिर पढ़ाई के दौरान ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहे हों तो नियमित रूप से रोजाना इस पाठ को करना चाहिए। इससे एकाग्रता बढ़ती है।
3.गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करने से अशुभ ग्रह शांत होते हैं और भाग्य के कारक ग्रह बलवान होते हैं।
4.गणपति अथर्वशीर्ष के पाठ से मानसिक शांति और आत्मविश्वास बढ़ाता है। इससे दिमाग स्थिर रहते हुए सटीक निर्णय लेने में सक्षम होता है।
5.अगर प्रतिदिन ये पाठ किया जाए तो जीवन में स्थिरता आती है। कार्यों में बेवजह आने वाली रूकावटें दूर होती हैं। आपके बिगड़े काम बनने लगते हैं।
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