धर्म डेस्क। हिंदू धर्म में तीज के पर्व का विशेष महत्व है। भादो या भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरितालिका तीज का पर्व मनाया जाता है। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
ऐसी मान्यता है कि सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घ आयु, वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि और कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर की कामना के लिए यह व्रत रखती हैं। यह व्रत सबसे कठिन व्रत में से एक है। ऐसा इसलिए है क्योंकि महिलाओं को 24 घंटे निर्जल रहना पड़ता है।
इस साल हरतालिका तीज की तिथि 25 अगस्त को दोपहर 12:34 बजे से शुरू होगी और 26 अगस्त को दोपहर एक बजकर 54 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार हरतालिका तीज का व्रत 26 अगस्त को रखा जाएगा।
हरितालिका तीज के व्रत में गौरी शंकर की मिट्टी की प्रतिमा बनाई जाती है। व्रत के दिन, ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए और साफ कपड़े पहनने चाहिए। इसके बाद व्रत का संकल्प लेने के लिए 'उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये' मंत्र का उच्चारण करें। घर के पूजा स्थल की सफाई करने के बाद चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं। चौकी पर भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
इसके बाद महिलाएं 16 श्रृंगार करके पूजा के लिए धूप, दीप, चंदन, अक्षत, फूल, फल, पान, सुपारी, कपूर, नारियल, बेलपत्र, शमी पत्र आदि भगवान को अर्पित करें। इसके बाद कलश स्थापना करें और उस पर जल, आम के पत्ते, और नारियल रखें। शिव परिवार को गंगाजल से स्नान कराएं। धूप, दीप जलाएं और आरती करें, साथ ही हरतालिका तीज की कथा सुनें। रात को भजन-कीर्तन करें और जागरण करें। अगले दिन सुबह माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाने के बाद व्रत का पारण करें।
अस्वीकरण- इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। नईदुनिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। नईदुनिया अंधविश्वास के खिलाफ है।