ज्योतिष के अनुसार एक मनुष्य का जीवन चक्र ग्रहों-नक्षत्र के साथ चलता है। ज्योतिषाचार्य या हस्तरेखाचार्य विशेषज्ञों का मनाना है कि ग्रहों की शांति मनुष्य के जीवन में परिवर्तन लाती है। ग्रहों को शांत करने के लिए या अपने अनुकूल बनाने के लिए कुछ विशेष रत्नों को पहना जाता है। लेकिन बाजार में असली और नकली रत्न की पहचान करना थोड़ा मुश्किल काम होता है। ऐसे में आज हम आपको कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जिससे आपको रत्नों की सही पहचान करने में मदद मिलेगी।
ऐसे करें असली रत्न की पहचान
माणिक:
असली माणिक पर कमल की कली रखेंगे तो वह थोड़ी देर में खिल उठता है। इसके अलावा कांच के बर्तन में रखने पर यह लाल रंग में दिखता है।
मोती:
मोती को तर्जनी से पकड़ने पर वह कुछ ही देर में गर्म हो जाएगा। वहीं मोती को पानी में डालने पर उसमें किरणें दिखाई देती हैं।
मूंगा:
असली मूंगा शीशे पर घिसने पर आवाज नहीं करता है। असली मूंगे पर हाइड्रोक्लोरिक एसिड की बूंदे डालने पर झाग बनता है।
पन्ना:
असली पन्ने पर कच्ची हल्दी लगाने से हल्दी का रंग लाल हो जाता है। इसके अलावा पानी से भरे कांच के गिलास में पन्ना रखने पर उसमें हरी किरणे दिखाई देती हैं।
पुखराज:
पुखराज को सफेद कपड़े में बांधकर धूप में रखने पर उसमें पीली छाया दिखती है। असली पुखराज को एक दिन दूध में रखने पर उसका रंग नहीं बदलेगा।
हीरा:
हीरे पर मुंह से भाप छोड़ने पर उस पर भाप नहीं जमेगी। इसके अलावा गर्म दूध में डालने पर वह ठंडा हो जाता है।
नीलम:
नीलम को कांच के गिलास में पानी में रखने से पानी के ऊपर नीली किरण दिखती है। वहीं दूध में रखने पर इसका रंग नीला दिखाई देता है।
गोमेद:
असली गोमेद में बुलबुले दिखाई नहीं देते हैं। इसके अलावा इसे चौबीस घन्टे गोमूत्र में रखने पर उसका रंग बदलने लगता है।
लहसुनिया:
असली लहसुनिया रत्न पत्थर पर भी रगड़ने पर टूटता नहीं है। इसके अलावा अंधेरे कमरे में रखने पर इसकी किरणे स्पस्ट दिखाई देती हैं। जीवन में कुछ पाना है कुछ करना है तो शुद्ध ही रत्ना धारण करें सस्ता और नकली रत्न जीवन पर्यंत तक भी कभी शुभ-फलदाई नहीं होता इसलिए नकली और सस्ता रत्ना धारण करने से बचे।
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