धर्म डेस्क। हिंदू धर्म में वास्तु शास्त्र का विशेष महत्व माना गया है। इसकी सहायता से घर में कई तरह की समस्याओं को ठीक किया जा सकता है। कई परिवारों में भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा-अर्चना की जाती है। लड्डू गोपाल की सेवा के दौरान भी वास्तु नियमों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। इससे साधक पर भगवान श्रीकृष्ण की विशेष कृपा बनी रहती है।
इसके सात ही जन्माष्टमी (Janmashtami) की रात लड्डू गोपाल के झूले को झुलाने की परंपरा भक्तों के हृदय को आनंद और भक्ति से भर देती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार अगर झूला सही दिशा और विधि से सजाया जाए, तो उसका शुभ प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। आइए जानते हैं किस दिशा में रखने चाहिए लड्डू गोपाल...
वास्तु विशेषज्ञ मानते हैं कि लड्डू गोपाल का झूला उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) या पूर्व दिशा में रखना सबसे शुभ है। यह दिशाएं देवताओं के वास की मानी जाती हैं और यहां से घर में शांति, सौभाग्य और आशीर्वाद का प्रवाह होता है। झूले में विराजमान श्री कृष्ण (Janmashtami 2025) का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए, ताकि उनका दिव्य दर्शन घर में आने वाली हर सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सके।
जन्माष्टमी के पावन अवसर पर झूले का रंग भी महत्व रखता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार पीला (आनंद और उन्नति का प्रतीक), सफेद (शांति और पवित्रता), हल्का नीला (आकाश और अनंतता) और सुनहरा (समृद्धि और तेज) रंग विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं। इन रंगों में सजा झूला न केवल सुंदर दिखता है बल्कि शुभ ऊर्जा भी फैलाता है।
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सबसे उत्तम– लकड़ी का झूला, जो स्थिरता और प्राकृतिक ऊर्जा का प्रतीक है।
अन्य शुभ विकल्प– चांदी या पीतल से निर्मित झूला, जो समृद्धि और पवित्रता को बढ़ाता है।
इनसे बचें– स्टील या लोहे के झूले, क्योंकि इन्हें वास्तु में अशुभ माना गया है।
जन्माष्टमी पर झूले की सजावट (Janmashtami 2025 Jhula Decoration) एक कला है, जिसमें भक्ति का भाव और सौंदर्य का संगम होता है।
फूलों की महक - तुलसी, गेंदे और गुलाब के फूलों से सजावट, जो वातावरण को पवित्र बनाते हैं।
हरे तोरण - आम के पत्तों से सजा तोरण, जो घर में शुभ ऊर्जा का प्रवेश कराता है।
सजावटी सामग्री - रेशमी कपड़े, मोती-मणि, मोर पंख और रंग-बिरंगी झालर, जो झूले को स्वर्गिक रूप देते हैं।
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