
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में भगवान राम के प्रति आस्था बहुत अधिक है। भगवान श्रीराम जी को मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में माना जाता है। वह भगवान विष्णु के 7वें अवतार हैं। धरती पर उनके किए गए कामों की हर कोई सराहना करता है। वह द्वापर युग में अयोध्या नरेश दरशरथ के घर बड़ी मनोकामना के बाद अवतरित हुए थे। भगवान श्रीराम की पूजा आप करते हैं, तो यह ध्यान देने की जरूरत है कि श्रीराम स्तुति का पाठ जरूर करें। इसका पाठ किए बिना पूजा अधूरी ही मानी जाती है। श्रीराम स्तुति में बहुत अधिक ताकत है। इसका रोज पाठ करने से आपके जीवन की सारी समस्याएं दूर हो सकती हैं। आप पर भगवान श्रीराम का आशीर्वाद बना रहेगा।
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॥दोहा॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन
हरण भवभय दारुणं ।
नव कंज लोचन कंज मुख
कर कंज पद कंजारुणं ॥1॥
कन्दर्प अगणित अमित छवि
नव नील नीरद सुन्दरं ।
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि
नोमि जनक सुतावरं ॥2॥
भजु दीनबन्धु दिनेश दानव
दैत्य वंश निकन्दनं ।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल
चन्द दशरथ नन्दनं ॥3॥
शिर मुकुट कुंडल तिलक
चारु उदारु अङ्ग विभूषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर
संग्राम जित खरदूषणं ॥4॥
इति वदति तुलसीदास शंकर
शेष मुनि मन रंजनं ।
मम् हृदय कंज निवास कुरु
कामादि खलदल गंजनं ॥5॥
मन जाहि राच्यो मिलहि सो
वर सहज सुन्दर सांवरो ।
करुणा निधान सुजान शील
स्नेह जानत रावरो ॥6॥
एहि भांति गौरी असीस सुन सिय
सहित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि
मुदित मन मन्दिर चली ॥7॥
॥सोरठा॥
जानी गौरी अनुकूल सिय
हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल वाम
अङ्ग फरकन लगे।
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