Kanakdhara Stotra: मां लक्ष्मी की मिलती है कृपा, घर में होती है धनवर्षा, कनकधारा के पाठ से
Kanakdhara Stotra: स्वर्णलक्ष्मी प्राप्ति हेतु कनकधारा स्तोत्र का करें पाठ
By Manoj Kumar Tiwari
Edited By: Manoj Kumar Tiwari
Publish Date: Fri, 21 Apr 2023 09:05:33 AM (IST)
Updated Date: Fri, 21 Apr 2023 09:10:19 AM (IST)

आज के दौर में हर एक व्यक्ति को धन की आवश्यकता है सुबह से शाम तक धन प्राप्ति के लिए मनुष्य भटकता रहता है कर्म और भाग्य के बंधन से मनुष्य को धन की प्राप्ति होती है। मेहनत के अनुरूप धन का न मिलना भाग्य का खेल होता है इसीलिए प्राचीन काल की एक कथा सुनाते हैं—
स्वर्णलक्ष्मी प्राप्ति हेतु कनकधारा स्तोत्र
एक बार की बात है भिक्षा मांगने के लिए निकले आदि गुरु शंकराचार्य एक दिन घूमते हुए एक द्वार पर जा पहुँचे और 'भिक्षां देहि' का सस्वर उद्घोष किया। दुर्भाग्यवश वह घर एक दरिद्र सद्गृहस्थ ब्राह्मण परिवार का था। ब्राह्मण की धर्मपत्नी ने द्वार खोला तो एक तेजोमयी तपस्वी अतिथि को भिक्षार्थ द्वार पर खड़ा देख ऊहापोह पड़ गई।
उसे अपने भाग्य और अपनी असमर्थता पर रोना आ गया। पूरा घर छान मारने के पश्चात् मात्र एक सूखा हुआ आंवला मिला। उसे लेकर ब्राह्मण स्त्री ने रुदन करते हुए अत्यंत संकोच के साथ शंकराचार्य के भिक्षापात्र में अर्पित कर दिया।
यह सब देख शंकराचार्य के मन में उसकी दरिद्रावस्था पर करूणा जाग उठी और उन्होंने तत्क्षण उसी स्थल पर भगवती महालक्ष्मी की स्तुति की। आचार्य श्री की करुणापूर्ण वाणी से द्रवित होकर त्रिभुवनमोहिनी रुप में महालक्ष्मी ने प्रकट होकर स्मरण करने का कारण पूछा तो आचार्य ने उस दरिद्र ब्राह्मण की करुण गाथा को सुनाकर उसके दारिद्रय विनाश हेतु महालक्ष्मी से करबद्ध प्रार्थना की।
माँ लक्ष्मी ने ब्राह्मण के भाग्य में दरिद्रता का योग बताकर अपनी असमर्थता जाहिर की तो आचार्य श्री ने भर्राए स्वर में पूछा कि - हे माते! क्या स्तोत्र-पाठ के पश्चात् भी इस में धन का अभाव रहेगा?' तो महालक्ष्मी ने उनसे ब्राह्मण के घर में कनकधारा यंत्र को प्राण-प्रतिष्ठापूर्वक स्थापित करके कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने को कहा।
आदि गुरु शंकराचार्य ने विधिपूर्वक समस्त क्रियाविधि सम्पन्न की तो तत्क्षण ही उस ब्राह्मण के घर में स्वर्ण वर्षा हो उठी और जीवन पर्यन्त उसे किसी भी वस्तु का कोई अभाव नहीं रहा। कनकधारा स्तोत्र के पाठ से एक अतिविशिष्ट दिव्य अलौकिक प्रभाव उत्पन्न होता है। जिसके फलस्वरूप साधक ऐश्वर्याशाली हो जाता है।