हिंदू धर्म में किसी भी कार्य को करने से पहले शुभ और अशुभ मुहूर्त देखा जाता है। शुभ मुहूर्त में किए गए कार्य हमेशा सफल होते हैं, लेकिन हिन्दू पंचांग के अनुसार हर महीने में पांच दिन ऐसे भी पड़ते, जिस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। इन्हें पंचक कहा जाता है। इस दौरान मांगलिक और शुभ कार्य नहीं किए जाते है और कुछ ऐसे काम है, जिस पर मनाही नहीं होती है। पंचक में एक मृत्यु पंचक भी लगता है।
ऐसी भी मान्यता या धारणा है कि दिनों में मरने वाले व्यक्ति परिवार के अन्य पांच लोगों को भी साथ ले जाते हैं। पंचक पांच नक्षत्रों के मेल से बनता है। यह नक्षत्र धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती है। इन नक्षत्रों के संयोग से पंचक नक्षत्र आता है।
एक राशि में चंद्रमा ढाई दिन और दो राशियों में चंद्रमा पांच दिन रहता है। इन पांच दिनों के दौरान चंद्रमा, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती से गुजरता है और इस कारण ये पांचों दिन पंचक कहलाते हैं। जब चंद्रमा 27 दिनों में सभी नक्षत्रों का भोग कर लेता है, तब प्रत्येक महीने में 27 दिनों के अंतराल पर पंचक नक्षत्र का चक्र बनता रहता है।
मृत्यु पंचक को अन्य पंचकों में से सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है। इस पंचक के दौरान व्यक्ति को मृत्यु के समान कष्टों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में व्यक्ति को चोट लगने, दुर्घटना होने का खतरा सबसे अधिक होता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पंचक 13 मई को सुबह 12:18 बजे से शुरू होंगे और 17 मई को सुबह 07:39 बजे समाप्त होगा।
शास्त्रों में वार के हिसाब से पंचक के नाम का निर्धारण किया जाता है। हर पंचक का अलग-अलग अर्थ और प्रभाव होता है।
- रविवार के दिन प्रारंभ पंचक को रोग पंचक कहते हैं। इसमें व्यक्ति को पांच दिन शारीरिक एवं मानसिक तनाव रहता है। यह पंचक मांगलिक कार्यों में अशुभ माना गया है।
- सोमवार के पंचक को राज पंचक कहा जाता है। ये शुभ माना जाता है। इस पंचक के समय शासकीय कार्यों में सफलता मिलती है और संपत्ति से जुड़े कार्य करना शुभ माना जाता है।
- मंगलवार के दिन अग्नि पंचक लगता है। इस पंचक में औजार, निर्माण कार्य और मशीनरी कामों की शुरुआत करना अशुभ होता है।
- शुक्रवार को शुरू होने वाला पंचक चोर पंचक कहलाता है। इस पंचक में यात्रा करना वर्जित रहता है। आपको लेन-देन, व्यापार संबंधित कार्य भी नहीं करने चाहिए। यह धन हानि का कारण हो सकता है।
- शनिवार को शुरू होने वाले पंचक को मृत्यु पंचक कहा जाता है। इस दौरान मनुष्य को मृत्यु के समान कष्ठ से जूझना पड़ता है।
- मृत्यु पंचक के दौरान घर की छत नहीं डाली जाती है। ऐसा माना जाता है कि उस घर में रहने वाले लोग कभी सुखी नहीं रह सकते हैं। यह अशुभ होता है।
- पंचक के दौरान चारपाई नहीं बनवाई जाती है। इससे अशुभ फल मिलता है।
- इस दौरान किसी भी प्रकार से लकड़ी का सामान नहीं खरीदा जाता है। और लकड़ी भी नहीं ली जाती है।
- पंचक काल के दौरान दक्षिण दिशा की ओर यात्रा नहीं करनी चाहिए। अगर किसी कारण जाना पड़ रहा है, तो हनुमान जी को फल का भोग लगाकर पूजा करें। इसके यात्रा करें।
- पंचक काल के दौरान किसी की मृत्यु हो जाती है, तो इसके अशुभ प्रभाव से बचने के लिए शव के साथ 5 कुश या आटा के पुतले बनाकर अर्थी पर रखे जाते हैं। यह पुतले आटे के या कुश के बने होते हैं। इन पुतलों का अर्थी में शव के साथ विधि विधान के साथ अंतिम संस्कार किया जाता है। ऐसा करने से पंचक दोष नहीं लगता है।
- पंचक में किसी भी प्रकार का शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है।
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