सनातन धर्म में नवरात्रि का पर्व बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। नवदुर्गा की आराधना के इस समय काल में भक्त देवी की कृपा पाने के लिए व्रत रखते हैं। वहीं, चैत्र नवरात्रि या शारदीय नवरात्रि दोनों में ही जवारे अर्थात मिट्टी के पात्र में जौ या गेहूं उगाने की परंपरा है। ज्वारे के बिना माता की पूजा अधूरी मानी जाती है। नवरात्रि के पहले दिन से ही जौ बोए जाते हैं। इस नवरात्रि में यदि आप ज्वार बोने वाले हैं, तो इन बातों का विशेष ध्यान रखें।

1. ज्वार बोने के बाद देवी पुराण में उल्लेखित है कि मां भगवती उन्हीं की पूजा-अर्चना स्वीकार करती हैं, जो नारी का पूरा आदर-सम्मान करते हैं। नारी का आदर-सम्मान करने वालों से मां लक्ष्मी सदा प्रसन्न रहती हैं।

2. यदि आपके घर में नवरात्रि के उपलक्ष्य में कलश की स्थापना की है, तो मान लीजिए कि आपने देवी को घर पर आमंत्रित किया है। अत: दोनों समय उनकी पूजा-आरती करें और नैवेद्य चढ़ाना न भूलें।

3. यदि आपने ज्वार बोए हैं और नवरात्रि के सभी दिन का उपवास भी रखा है, तो पति/पत्नी से दूरी बनाकर रखें। इस समय ब्रह्मचर्य का पालन करें, मां भगवती की पूजा-अर्चना शुद्ध एवं पवित्र मन से करें।

4. यदि आप ज्वार बोने के बाद नवरात्रि का व्रत रखने में असमर्थ हैं, तो भी नौ दिनों तक अपने खान-पान पर विशेष नियंत्रण रखना चाहिए। इस दौरान मांस-मछली-मदिरा, लहसुन और प्याज जैसी चीजों का उपयोग बिलकुल न करें, केवल सात्विक और शुद्ध आहार ग्रहण ही करें और साथ में इस समय ब्रह्मचर्य का नियम भी लागू रखें।

5. ज्वार में देवी मां स्वयं विराजमान होती तो इस समय उनकी पूजा शांति, श्रद्धा एवं प्रेम के साथ की जानी चाहिए। नवरात्रि के दिनों में घर में कलह, द्वेष और किसी का अपमान किए जाने पर घर में अशांति रहती है और लक्ष्मी भी नहीं टिकती है।

6. नवरात्रि में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें, इन दिनों में सूर्योदय के साथ ही स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए। इन दिनों काले रंग के परिधान न पहनें और न ही चमड़े की बेल्ट पहनें।

7. नवरात्र में यदि आप ज्वार बोते हैं तो इस समयकाल में आपको बाल, दाढ़ी और नाखून भी नहीं कटवाने चाहिए।

8. बिस्तर पर न सोकर जमीन पर सोना अच्छा माना जाता है, इसके अलावा घर में पूरे नौ दिन में एक पल के लिए भी ताला न लगाएं।

9. नवरात्रि के दिन मूक और बेबस पशु-पक्षियों को परेशान नहीं करना चाहिए, इनके लिए दाना-पानी की व्यवस्था अवश्य करें। ध्यान रहे मां दुर्गा का वाहन भी एक पशु है।

10. दिन में मां का पाठ करें, प्रातः स्नान-ध्यान कर पड़ोस के लोगों या परिजनों के साथ कीर्तन, रामायण-पाठ इत्यादि करें। आप चाहें तो दुर्गा सप्तशती का पाठ भी कर सकते हैं।

डिसक्लेमर

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Posted By: Navodit Saktawat

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