धर्म डेस्क। नवरात्र शुरू होने से पहले आने वाला पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2025) पूर्वजों को याद करने और उनका आशीर्वाद पाने का महत्वपूर्ण समय माना जाता है। यह 16 दिनों की अवधि होती है जिसमें पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किए जाते हैं।
आज पितृ पक्ष की चतुर्थी तिथि है, जिसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन पितरों के लिए किए गए कर्मकांड से मोक्ष की प्राप्ति होती है और परिवार सुख-समृद्धि से भर जाता है। हालांकि, मान्यता है कि इस तिथि पर कुछ गलतियां नहीं करनी चाहिए, वरना पितरों की कृपा के बजाय अप्रसन्नता झेलनी पड़ सकती है।
जिन लोगों की मृत्यु किसी माह की चतुर्थी तिथि को हुई हो, उनके लिए यह दिन बेहद खास माना जाता है। इस दिन विधि-विधान से श्राद्ध और तर्पण करने पर पितरों को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद परिवार पर बना रहता है।
पितृ पक्ष के दौरान विशेष रूप से चतुर्थी के दिन मांसाहार, प्याज, लहसुन और तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि इन चीजों का सेवन पितरों की आत्मा को कष्ट देता है।
इस दिन बाल और नाखून काटना अशुभ माना जाता है। यह पितरों के प्रति अनादर का प्रतीक समझा जाता है।
पितृ पक्ष में नया व्यापार, गृह प्रवेश या विवाह जैसे शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। यह समय केवल पितरों की स्मृति और अनुष्ठानों के लिए समर्पित है।
इस अवधि में घर आए किसी भी अतिथि, खासकर ब्राह्मण या जरूरतमंद व्यक्ति को खाली हाथ न जाने दें। मान्यता है कि पितृ किसी भी रूप में घर आ सकते हैं।
पितृ पक्ष में शराब या किसी भी तरह का नशा करना वर्जित है। यह न केवल पितरों का अपमान है बल्कि पितृ दोष का कारण भी बन सकता है।