प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की स्थिति अलग-अलग होती है। ग्रहों के कारण ही उसका जीवन शुभ-अशुभ रूप से प्रभावित होता है। कमजोर ग्रहों को बलवान बनाने के लिए या किसी ग्रह को शांत कराने के लिए कई प्रकार के ज्योतिष उपाय किए जाते हैं। इन उपायों के साथ ग्रहों के फल प्राप्त करने में रत्नों का बड़ा महत्व होता है। किसी भी जातक की कुंडली में जब कोई ग्रह नकारात्मक तो कोई ग्रह सकारात्मक स्थित होता है, तो नकरात्मक ग्रह का अशुभ प्रभाव व्यक्ति को झेलना पड़ता है। लेकिन इन ग्रहों के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए रत्नों का वर्णन मिलता है। यहां हम बात करने जा रहे हैं पुखराज रत्न के बारे में, जिसका संबंध गुरु ग्रह से है। गुरु ग्रह को देवताओं का गुरु कहा जाता है। साथ ही गुरु ग्रह समृद्धि और वृद्धि के कारक माने जाते हैं। आइए जानते हैं पुखराज पहनने के लाभ और इसको धारण करने की विधि।
इन्हें धारण करना चाहिए पुखराज
पुखराज रत्न धारण करने को लेकर ज्योतिष के जानकार द्वारा बताया गया है कि ऐसे जातक जिनकी जन्मकुंडली में गुरु ग्रह उच्च के या शुभ स्थित हों वो लोग पुखराज धारण कर सकते हैं। वहीं, मीन और धनु राशि और लग्न वाले लोग पुखराज पहन सकते हैं, दरअसल इन दोनों राशियों के स्वामी बृहस्पति ही हैं। तुला लग्न वाले जातक पुखराज पहन सकते हैं, क्योंकि गुरु आपके पांचवे घर के मालिक होते हैं। बता दें कि यदि कुंडली में गुरु ग्रह नीच के स्थित हों तो पुखराज धारण नहीं करना चाहिए। पुखराज के साथ हीरा भी नहीं धारण करना चाहिए। अन्यथा नुकसान हो सकता है।
पुखराज धारण करने की विधि
बाजार में सबसे अच्छा पुखराज सीलोनी होता है। लेकिन यह थोड़ा मंहगा होता है। वहीं जो बैंकॉक का पुखराज होता है वह सीलोनी से सस्ता होता है। अब बाजार से कोई भी सवा 7 या 8 रत्ती का पुखराज रत्न खरीद लें। ज्योतिष के अनुसार इस रत्न को सोने या चांदी की अंगूठी में जड़वाकर गुरुवार को धारण करें। धारण करने से पूर्व अंगूठी को गंगा जल या दूध से शुद्ध कर लें। इसके बाद अंगूठी को दाहिने हाथ की तर्जनी उंगली में धारण कर लें। धारण करने के बाद गुरु ग्रह से संबंधित दान किसी ब्राह्राण को दें।
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