Ayodhya Ram Mandir Pran Pratishtha Date: धर्म डेस्क, इंदौर। सनातन धर्म में जब भी देवी या देवता की मूर्ति घर या मंदिर में स्थापित की जाती है तो पूरे विधि-विधान के साथ प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर में भी राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम अब से कुछ देर बाद होगा और इसके लिए सभी धार्मिक अनुष्ठान 16 जनवरी से ही शुरू हो चुके थे। ऐसे में लोगों में मन में यह जिज्ञासा हो सकती है कि आखिर प्राण प्रतिष्ठा का धार्मिक महत्व क्या है और यह क्यों किया जाता है। यहां प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं पंडित प्रभु दयाल दीक्षित।
घर या मंदिर में जब भी किसी देवी या देवता की मूर्ति स्थापित की जाती है तो मूर्ति को जीवित करने के अनुष्ठान को ही प्राण प्रतिष्ठा कहा जाता है। सनातन धर्म में प्राण प्रतिष्ठा की परंपरा सांस्कृतिक मान्यता से जुड़ी हुई है। धार्मिक मान्यता है कि पूजा-आराधना वास्तव में मूर्ति की नहीं, बल्कि उसमें निहित दिव्य शक्ति और चेतना की होती है।
पंडित प्रभु दयाल दीक्षित के मुताबिक, किसी मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करने से तात्पर्य उसमें ईश्वरत्व को स्थापित करने से है। जब भी किसी प्रतिमा में प्राण प्रतिष्ठा की जाती है तो मंत्रों का जाप करने के साथ-साथ धार्मिक अनुष्ठान होते हैं।
सनातन धर्म में यह भी मान्यता है कि घर में कभी भी पत्थर की प्रतिमा स्थापित नहीं की जाती है क्योंकि पत्थर की मूर्ति की रोज पूजा की जाती है। पंडित प्रभु दयाल दीक्षित के मुताबिक, देव प्रतिमा की स्थापना हमेशा मंत्रोच्चार के साथ ही करना चाहिए।
ॐ मानो जूतिर्जुषतामाज्यस्य बृहस्पतिर्यज्ञमिमं
तनोत्वरिष्टं यज्ञ गुम समिमं दधातु विश्वेदेवास इह मदयन्ता मोम्प्रतिष्ठ ||
अस्यै प्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणाः क्षरन्तु च अस्यै
देवत्व मर्चायै माम् हेति च कश्चन ||
ॐ श्रीमन्महागणाधिपतये नमः सुप्रतिष्ठितो भव
प्रसन्नो भव, वरदा भव ||
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