Rangbhari Ekadashi 2023: रंगभरी एकादशी के दिन करें भगवान विष्णु की पूजा, आंवला दान से धन-धान्य की नहीं होगी कमी
Rangbhari Ekadashi 2023: फाल्गुन का महीना रंगों का पर्व माना जाता है, इसलिए इस एकादशी का एक नाम रंगभरी एकादशी भी है।
By Ashish Kumar Gupta
Edited By: Ashish Kumar Gupta
Publish Date: Thu, 02 Mar 2023 11:50:15 AM (IST)
Updated Date: Thu, 02 Mar 2023 11:50:15 AM (IST)

रायपुर। Rangbhari Ekadashi 2023: हिंदू संवत्सर के आखिरी महीने फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी 3 मार्च को पड़ रही है। चूंकि फाल्गुन का महीना रंगों का पर्व माना जाता है, इसलिए इस एकादशी का एक नाम रंगभरी एकादशी भी है। इसे झुलनी एकादशी, आमलकी यानी आंवला एकादशी और डोल ग्यारस भी कहा जाता है।
मंदिरों में जुगल जोड़ी सरकार राधा रानी और श्रीकृष्ण के संग होली खेलने की परंपरा निभाई जाती है। साथ ही आंवला की भी पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु ने आंवले को आदि वृक्ष कहा है। फाल्गुन एकादशी पर विष्णु और आंवले की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। परिवार में सुख समृद्धि का वास होता है।
यह भी मान्यता है कि माता लक्ष्मी के आंसू से आंवले का वृक्ष बना है। एकादशी पर लक्ष्मीजी की भी पूजा करनी चाहिए। आंवले के वृक्ष में तीन देवों ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है। ब्रह्माजी आंवले के पेड़ के ऊपरी हिस्से में, शिवजी बीच में और भगवान विष्णु आंवले के पेड़ की जड़ में रहते हैं।
आंवला दान करें
आंवला, केसर या हल्दी का दान करने पुण्य फल की प्राप्ति होती है। भगवान विष्णु को पीला रंग पसंद है इसलिए पीले रंग के कपड़े पहनने से व्रत का पूरा फल मिलता है। इस एकादशी पर केला, केसर या हल्दी का दान करना उत्तम माना जाता है। साथ ही आंवले का दान भी करना चाहिए।
गंगा जल से स्नान करें
एकादशी पर गंगाजी में स्नान करना चाहिए। यदि गंगाजी न जा सकें तो साधारण जल में गंगा जल की कुछ बूंदे औऱ आंवला डालकर स्नान करने का भी महत्व है। इससे पापों से मुक्ति मिलती है। आमलकी एकादशी पर आंवले का उबटन भी लगाना चाहिए।