धर्म डेस्क। शनि देव बहुत ही कठोर पीड़ा देने वाले, दुख देने वाले, अवसाद देने वाले ग्रह हैं। वह कर्मों का सही-सही फल देने वाले ग्रह हैं। लिहाजा, शनि के वक्री होने से आपको समझना चाहिए कि आप वह आपके कर्मों का सारा चिट्ठा खोलेंगे। यदि आपने मेहनत और ईमानदारी से, लगन से काम किया था और आप उसका फल नहीं मिला, तो अब समय आ गया है कि एक झटके में आप बहुत आगे बढ़ जाएंगे।
यदि आपने समय पर काम नहीं किया। चीजों को बिना मतलब लटका कर रखा। दूसरों को परेशान किया है, तो आपके जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव आ सकते हैं। शनि के इस गोचर से जानते हैं कि इन 4 राशि के जातकों को विशेष लाभ होगा और क्या कुछ असामान्य तौर पर उतार-चढ़ाव वो देख सकते हैं।
13 जुलाई से 30 नवंबर 2025 तक शनि देव (Saturn in Pisces impact) आपकी ही राशि मीन में वक्री होकर लग्न भाव में रहेंगे। यह भाव आपके स्वभाव, शरीर, स्वास्थ्य, आत्म-सम्मान और जीवन की दिशा को दर्शाता है। शनि की वक्री स्थिति इस भाव में मीन राशि वालों के लिए एक गहरी कर्म संबंधी परीक्षा लेकर आती है। आप पर जिम्मेदारियों का बोझ महसूस हो सकता है। अपनी पहचान या जीवन की दिशा को लेकर भ्रम भी हो सकता है। लेकिन यह आत्मिक और मानसिक रूप से परिपक्व होने का सुनहरा अवसर है।
13 जुलाई से 30 नवंबर 2025 तक शनि देव मीन राशि में वक्री होकर कर्क राशि के नवम भाव में स्थित रहेंगे। यह भाव उच्च शिक्षा, विश्वास, धर्म और लंबी यात्राओं से जुड़ा है। गुरु या मार्गदर्शक से जुड़ी स्थितियां भी यहीं से देखी जाती हैं। शनि का यह गोचर बाहरी प्रगति को धीमा कर सकता है, लेकिन आंतरिक विकास के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण रहेगा। आपकी किस्मत, सोच और विश्वास की इस समय परीक्षा होगी। यह आत्म-अन्वेषण और जीवन के सही अर्थ को समझने का उत्तम समय है।
13 जुलाई से 30 नवम्बर 2025 तक शनि देव मीन राशि में वक्री होकर सिंह राशि वालों के अष्टम भाव में गोचर करेंगे। अष्टम भाव गूढ़ विषयों, संयुक्त संपत्ति, रोग, और मानसिक परिवर्तन से जुड़ा होता है। शनि की यह स्थिति पुराने विषयों को पुनः सामने लाकर उनका समाधान और शुद्धिकरण करवाती है। यह समय काफी अच्छा होगा, लेकिन आत्मबल, आत्मज्ञान और स्वीकार का पाठ जरूर सिखाएगा।
आपकी राशि के स्वामी शनि देव, मीन राशि में वक्री (Shani Vakri 2025) होकर दूसरे भाव में गोचर करेंगे। यह भाव आपकी वाणी, भोजन की आदतों, धन और कुल परंपरा से जुड़ा है। शनि का यह गोचर आपको इस बात की समीक्षा करने के लिए प्रेरित करता है कि आप संसाधनों का कैसे प्रबंधन कर रहे हैं। बीते कर्म, जो धन, वाणी या वंश से जुड़े हैं, अब सामने आ सकते हैं और उन्हें सुलझाना जरूरी होगा।
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