Shardiya Navratri 2025: नवरात्र के पांचवें दिन होता है मां स्कंदमाता का पूजन, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
Shardiya Navratri 2025 Day 5: शारदीय नवरात्र का पांचवां दिन देवी दुर्गा के पंचम स्वरूप मां स्कंदमाता को समर्पित है। इस दिन भक्त विधि-विधान से मां की पूजा-अर्चना करते हैं। मान्यता है कि मां स्कंदमाता की आराधना से सभी कष्ट दूर होते हैं, सफलता मिलती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
Publish Date: Sat, 27 Sep 2025 10:12:37 AM (IST)
Updated Date: Sat, 27 Sep 2025 10:21:26 AM (IST)
Shardiya Navratri 2025 Day 5HighLights
- पांचवें दिन होता है स्कंदमाता का पूजन।
- मां स्कंदमाता की पूजा विधि और महत्व।
- इस बार मां कूष्मांडा की भी होगी पूजा।
धर्म डेस्क। शारदीय नवरात्र का पांचवां दिन देवी दुर्गा के पंचम स्वरूप मां स्कंदमाता को समर्पित है। इस दिन भक्त विधि-विधान से मां की पूजा-अर्चना करते हैं। मान्यता है कि मां स्कंदमाता की आराधना से सभी कष्ट दूर होते हैं, सफलता मिलती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
मां स्कंदमाता का स्वरूप
मां स्कंदमाता को सिंह पर विराजमान और गोद में बाल स्कंद (कार्तिकेय) को धारण करते हुए दर्शाया गया है। उनकी चार भुजाएं हैं और वे अपने भक्तों पर पुत्रवत स्नेह बरसाती हैं।
मां स्कंदमाता की पूजा विधि और महत्व
- इस दिन मां को पीले वस्त्र और चुनरी अर्पित करना शुभ माना जाता है।
- पूजा में केले का भोग चढ़ाना चाहिए। यह उनका प्रिय प्रसाद है, जिससे वे शीघ्र प्रसन्न होती हैं।
- उनकी आराधना से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, कार्यों में सफलता मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
- शास्त्रों के अनुसार, मां की विधिपूर्वक पूजा करने पर साधक को मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग भी सुलभ हो जाता है।
इस बार मां कूष्मांडा की भी होगी पूजा
- आमतौर पर मां कूष्मांडा की पूजा नवरात्रि के चौथे दिन होती है, लेकिन इस बार तृतीया तिथि दो दिन होने से पांचवें दिन भी उनकी पूजा की जाएगी।
- मां कूष्मांडा की उपासना से ऊर्जा, सृजन शक्ति और आयु में वृद्धि होती है।
- उनकी कृपा से रोग और संकट दूर होते हैं।
- देवी पुराण और दुर्गा सप्तशती में वर्णित है कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड की उत्पत्ति उनकी मंद मुस्कान से हुई थी। इसलिए, उन्हें सृष्टि की जननी कहा जाता है।
पूजा के शुभ मुहूर्त (27 सितंबर 2025)
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 4:36 से 5:24 तक
प्रात:कालीन संध्या- सुबह 5:00 से 6:12 तक
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 11:48 से 12:36 तक
संध्या पूजा मुहूर्त- शाम 6:30 से 7:42 तक