
धर्म डेस्क। ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह को साहस, शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। जब किसी जातक की कुंडली के पहले (लग्न), चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में मंगल स्थित हो, तो इसे 'मंगल दोष' या व्यक्ति को 'मांगलिक' कहा जाता है। समाज में अक्सर इसे लेकर डर व्याप्त रहता है, लेकिन ज्योतिष के अनुसार यह दोष हमेशा नेगेटिव नहीं होता। यह व्यक्ति को नेतृत्व क्षमता और जुझारू व्यक्तित्व भी प्रदान करता है।
मांगलिक दोष से प्रभावित व्यक्ति अत्यंत ऊर्जावान, स्वाभिमानी और निडर होते हैं। हालांकि, मंगल के प्रभाव से उनके स्वभाव में क्रोध, उग्रता और हठीपन भी आ सकता है। यही कारण है कि वैवाहिक जीवन में सामंजस्य बिठाने के लिए कुंडली मिलान को महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि यदि एक जीवनसाथी मांगलिक हो और दूसरा नहीं, तो वैचारिक मतभेद या स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। वहीं, यदि दोनों पार्टनर मांगलिक हों, तो यह दोष खुद ही निष्प्रभावी हो जाता है।
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