कैसा होना चाहिए मंदिर जाते समय पहनावा
जब भी किसी भी धर्मस्थल पर जाते हैं तो कपड़े ऐसे होने चाहिए जो शालीन हों और पहनने में सहज हों।
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Publish Date: Mon, 06 Mar 2017 10:43:07 AM (IST)
Updated Date: Thu, 09 Mar 2017 08:58:11 AM (IST)

जब भी किसी भी धर्मस्थल पर जाते हैं तो कपड़े ऐसे होने चाहिए जो शालीन हों और पहनने में सहज हों। क्योंकि जब मंदिर में भगवान के सामने सिर झुकाते हैं या खुदा के सामने सजदा करते हैं तो शालीन और सहज कपड़े पहने होने पर किसी प्रकार की समस्या नहीं होती।
और यदि आप काफी तंग कपड़े पहने होते हैं तो इस तरह की समस्या आना आम है। ऐसे में भक्त का सारा ध्यान अपने वस्त्रों पर होता है। भगवान पर नहीं। याना आस्था और मनोकामना के लिए धर्म स्थल पर आना पूरी तरह से व्यर्थ हो जाता है।
पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि प्राचीन काल में ऋषि-मुनि, राजा-महाराजा और आम आदमी धोती पहना करते थे।
यह काफी सहज होती है। ऐसे में जब वो मंदिर जाते या फिर यज्ञ हवन करते तो उन्हें उठने-बैठने और चलने में किसी तरह की परेशानी नहीं होती थी। और उनका पूरा ध्यान ईश्वर की आराधना में रहता था।
हालांकि यह परंपरा आज भी जारी है। इसलिए देश के भव्य मंदिरों में पूजा अर्चना करते समय पारंपरिक वस्त्रों को ही पहना जाता है। इन वस्त्रों का रंग अमूमन पीला और लाल होता है।
वह इसीलिए कि पीला रंग सकारात्मकता को दर्शाता है तो लाल रंग स्वयं देवी का का रंग है। जो अपना आध्यात्मिक महत्व रखता है।