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धर्म डेस्क। हिंदू धर्म में शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित माना जाता है। मान्यता है कि जिन लोगों की कुंडली में शनि दोष, साढ़े साती या ढैय्या का प्रभाव होता है, उन्हें जीवन में कई तरह की बाधाओं और असफलताओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में शनिवार को व्रत रखना और शनिदेव की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, नियमित रूप से 7 शनिवार तक व्रत करने से शनि दोष से राहत मिलती है। कहा जाता है कि इससे जीवन में आ रही रुकावटें दूर होती हैं और सफलता के नए अवसर खुलते हैं।
शनिवार व्रत किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के पहले शनिवार से शुरू करना चाहिए। लगातार 7 शनिवार तक व्रत करने से शनिदेव विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं।
पूजा के दौरान शनिदेव से आंखें मिलाने की मनाही होती है। माना जाता है कि ऐसा करने से उनका प्रकोप बढ़ सकता है।
यदि आपके आसपास शनिदेव का मंदिर न हो तो पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना भी शुभ माना जाता है।
जो लोग व्रत नहीं रख पाते, वे हर शनिवार छाया दान या सरसों के तेल का दान कर सकते हैं। इससे भी नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है।
नोट - यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और लोक आस्थाओं पर आधारित है। नईदुनिया इसकी पुष्टि नहीं करता। किसी ज्योतिष विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।