
धर्म डेस्क। हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे लक्ष्मी-नारायण जी की पूजा करने और भोजन पकाकर भोग लगाने से घर में सुख-समृद्धि और सौभाग्य का आगमन होता है। महिलाएं इस अवसर पर व्रत रखकर संध्याकाल तक मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की उपासना करती हैं।
धार्मिक मान्यता है कि अक्षय नवमी पर व्रत और पूजा करने से परिवार में खुशहाली बनी रहती है और लक्ष्मी-नारायण जी की कृपा से सभी कष्ट दूर होते हैं। इस दिन आंवला वृक्ष की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है।
वैदिक पंचांग के अनुसार
नवमी तिथि प्रारंभ - 30 अक्टूबर, सुबह 10:06 बजे
नवमी तिथि समाप्त - 31 अक्टूबर, सुबह 10:03 बजे
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, अक्षय नवमी 31 अक्टूबर 2025 (शुक्रवार) को मनाई जाएगी।
वृद्धि योग - 30 अक्टूबर सुबह 06:17 से पूरी रात
रवि योग - 31 अक्टूबर को पूरे दिन
शिववास योग - 31 अक्टूबर सुबह 10:03 बजे तक
इन योगों में मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की आराधना करने से हर शुभ कार्य में सफलता मिलती है और साधक पर देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा होती है।
इस दिन धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र का संयोग रहेगा। साथ ही कौलव और तैतिल करण भी पड़ रहे हैं, जिन्हें ज्योतिष शास्त्र में शुभ माना गया है। इस दिन लक्ष्मी-नारायण जी की पूजा करने से सुख, सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।