धर्म डेस्क, इंदौर। Amalaki Ekadashi 2024 Date: पंचांग के अनुसार, इस साल आमलकी एकादशी 20 मार्च (बुधवार) को मनाई जाएगी। आमलकी का अर्थ आंवला है। जिसे हिंदू धर्म और आयुर्वेद में श्रेष्ठ माना जाता है। पद्म पुराण के अनुसार, आंवले का पेड़ भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। आंवले के वृक्ष में देवी लक्ष्मी और श्रीहरि का वास होता है। एकादशी के दिन आंवले के जल से स्नान, आंवला पूजन और आंवले का दान करना चाहिए।
सुबह उठकर भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत का संकल्प करें। संकल्प लेने के बाद स्नान से निवृत्त होकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। दीपक जलाकर विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। पूजा के बाद आंवले के पेड़ के नीचे नवरत्न युक्त कलश स्थापित करें। आंवले के वृक्ष का धूप, दीप, चंदन, रोली, फूल और अक्षत से पूजन कर किसी गरीब या ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए। अगले दिन स्नान कर स्नान कर पूजन के बाद कलश, वस्त्र और आंवला का दान करना चाहिए। इसके बाद भोजन ग्रहण कर व्रत खोलना चाहिए।
पद्म पुराण के अनुसार, आमलकी एकादशी का व्रत रखने से तीर्थ दर्शन के समान पुण्य प्राप्त होता है। साथ ही जातक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। आमलकी एकादशी के दिन आंवले का सेवन करना लाभकारी होता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में चित्रसेन नामक राजा था। उसके राज्य में सभी लोग एकादशी का व्रत रखते थे। वहीं, राजा की आमलकी एकादशी के प्रति श्रद्धा थीं। एक दिन राजा शिकार करते हुए जंगल में बहुत दूर निकल गए थे। तब कुछ डाकुओं ने राजा को चारों तरफ से घेरकर हमला कर दिया। राजा ने जो भी शस्त्र चलाए वो फूल में बदल गए।
डाकुओं की संख्या अधिक होने से राजा चित्रसेन धरती पर गिर गए। तभी उनके शरीर से दिव्य शक्ति प्रकट हुई और समस्त डाकुओं को मारकर गायब हो गई। जब राजा की चेतना लौटी तो उसने डाकुओं को मरा हुआ पाया। यह देख राजा को आश्चर्य हुआ कि इन दुष्टों को किसने मारा। तभी आकाशवाणी हुई कि यह सब आमलकी एकादशी का व्रत करने के प्रभाव से मारे गए। तुम्हारी देह से उत्पन्न आमलकी एकादशी की वैष्ण शक्ति ने इनका सर्वनाश किया। यह सुनकर राजा चित्रसेन काफी प्रसन्न हुए और वापस लौटकर राज्य में एकादशी का महत्व सबको बतलाया।
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