नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ महीने की अमावस्या तिथि (Amavasya Tithi 2025) का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। वर्ष 2025 में आषाढ़ अमावस्या का पर्व बुधवार 25 जून को मनाया जाएगा। यह तिथि पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए विशेष रूप से समर्पित मानी जाती है।
गुफा मंदिर के प्रमुख पुजारी पंडित लेखराज शर्मा के अनुसार, आषाढ़ अमावस्या मंगलवार शाम 6:08 बजे से शुरू होकर बुधवार शाम 4:00 बजे तक रहेगी। पंचांग गणना के अनुसार, श्राद्ध, तर्पण और दान जैसे सभी कर्म बुधवार को करना शुभ रहेगा।
पंडित शर्मा बताते हैं कि जिन लोगों को अपने पूर्वजों की मृत्यु की तिथि याद नहीं होती, उनके लिए आषाढ़ अमावस्या श्राद्ध और पिंडदान (Pitru Tarpan) का सर्वोत्तम दिन होता है। इस दिन श्रद्धा भाव से किए गए कर्म से पितृ दोष शांत होता है और जीवन में सुख-शांति एवं समृद्धि का संचार होता है।
1. स्नान और संकल्प: तड़के उठकर पवित्र नदी या जल में स्नान कर पितरों के लिए श्राद्ध का संकल्प लें।
2. पिंडदान और तर्पण: तिल, जल, दूध, जौ आदि से पिंडदान और तर्पण करें।
3. दान-पुण्य: ब्राह्मणों, गरीबों और गायों को अन्न, वस्त्र और दक्षिणा का दान करें।
4. पवित्र पाठ: गीता, गरुड़ पुराण और विष्णु सहस्रनाम का पाठ लाभकारी होता है।
आषाढ़ अमावस्या को ‘पितृ अमावस्या’ के रूप में भी जाना जाता है। यह दिन पूर्वजों की आत्मा को तृप्त करने, कुल की शुद्धि और जीवन में तरक्की लाने वाला दिन माना जाता है। यह भी मान्यता है कि इस दिन जो व्यक्ति दान-पुण्य करता है, उसे सात जन्मों तक पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।