नईदुनिया प्रतिनिधि, शाजापुर। देवशयनी एकादशी के साथ आज यानि 6 जुलाई से चातुर्मास की शुरुआत हो गई। मान्यता है कि देवशयनी से देवउठनी एकादशी तक चार माह भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम करते हैं। ऐसे में मांगलिक कार्य आदि वर्जित रहते हैं। चातुर्मास में साधना और आराधना का विशेष महत्व है। ऐसे में इन चार माह में विभिन्न धार्मिक आयोजन होंगे। जिनमें भागवत कथा, शिव महापुराण आदि आयोजन भी होंगे। चार माह बाद एक नंवबर को देवउठनी एकादशी पर तुलसी सालिगराम विवाह के साथ ही मांगलिक कार्यों की शुरू होंगे, विवाह मुहूर्तों की शुरुआत दो नवंबर से होगी।
देव शयनी एकादशी से शुभ कार्यों पर विराम लगने से बाजार पर भी असर पड़ेगा। वर्षा के कारण भी बाजार में ग्राहकी कम होगी वहीं किसान खेती किसानी के काम में जुटेगा। ग्रामीण मार्गों पर भी वर्षकाल में आवागमन कम होगा। जिससे बाजार की रौनक कम रहेगी। हालांकि अगले माह ही नौ अगस्त को रक्षा बंधन है। जिससे बाजार में रौनक आएगी और खरीददारी जोर पकड़ेगी। इसी माह 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर भी राष्ट्र प्रेम की रौनक रहेगी।
ये भी पढ़ें- Ujjain में विराजित हैं अष्ट भैरव, पूर्णिमा पर कालभैरव को लगेगा छप्पन पकवानों का भोग, होगी महाआरती
अब से कुछ दिन बाद श्रावण माह की शुरूआत होगी। श्रावण माह में शिवालय में भक्तों की भीड़ उमड़ेगी। जिसे लेकर शिव मंदिरों पर तैयारी की जा रही हैं। कांवड़ यात्राएं भी निकाली जाएंगी। सावन में रुद्राभिषेक करवाने का महत्व सबसे खास माना जाता है। सावन के पूरे महीने में भगवान शिव प्रसन्न मुद्रा में रहते हैं, इसलिए इसमें रुद्राभिषेक करवाना सबसे अच्छा माना जाता है। सावन में घर पर रुद्राभिषेक करवाना सबसे शुभ माना जाता है। अगर आप अपने घर पर इसका आयोजन नहीं कर सकते तो मंदिर में करवाना भी उत्तम फलदायी माना जाता है।