Basoda Puja: ग्वालियर. नईदुनिया प्रतिनिधि। बसौड़ा हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। शीतला अष्टमी को 'बसोड़ा पूजा' के नाम से भी जाना जाता है। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि बसौड़ा पूजा शीतला माता को समर्पित एक लोकप्रिय त्योहार है। यह पर्व माघ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 15 मार्च को मनाया जाएगा। अष्टमी तिथि प्रारंभ 14 मार्च को रात 08:22 बजे से होगा, अष्टमी तिथि की समाप्ति 15 मार्च को शाम 06 बजकर 45 मिनट पर होगी।शीतला अष्टमी पूजन का उत्तम मुहूर्त 15 मार्च सुबह 06 बजकर 20 मिनट से शाम 06 बजकर 35 मिनट तक मां शीतला को लगाएं बासी भोजन का भोग।
क्या होती है बसोड़ा पूजा
चैत्र की अवधि के दौरान कृष्ण पक्ष के 8वें दिन को हिंदुओं द्वारा शीतला अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इसे बसोड़ा के नाम से भी जाना जाता है, यह त्यौहार विभिन्न बीमारियों को ठीक करने में मदद करने वाला माना जाता है। जो लोग इस अवसर को मनाना चाहते हैं वे व्रत रखकर और देवी शीतला देवी की विशेष पूजा करके ऐसा कर सकते हैं।
बासी भोजन का भोग लगाने का है विधान
शास्त्रों के अनुसार, शीतला अष्टमी के साथ मां शीतला को बासी भोजन का भोग लगाने का विधान है। यह भोजन सप्तमी तिथि की शाम को बनाया जाता है। यह भोग चावल-गुड़ या फिर चावल और गन्ने के रस से मिलकर बनता है। इसके साथ ही मीठी रोटी का भोग बनता है।माता के भोग में विशेष रूप से हलवा, पूरी, कहीं-कहीं माता को चावल और घी का भोग भी लगाया जाता है। इस दिन घरों में खाना नहीं बनता है बल्कि माता को चढ़ाये गए प्रसाद को ही ग्रहण कर लिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि माता चेचक, खसरा आदि बीमारियों को दूर करती है व बच्चो को रोगों से रक्षा करती है।
इसलिए मनाया जाता है त्योहार
यह त्योहार मौसम में बदलाव और गर्मी के मौसम की शुरुआत की खुशी में मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि देवी शीतला चेचक, खसरा, चिकन पॉक्स आदि रोगों का इलाज और नियंत्रण करती हैं। उनके भक्त ऐसी बीमारियों के प्रकोप को दूर करने के लिए देवी की पूजा करते हैं।