Chaitra Navratri 2022। हिंदू धर्म में Chaitra Navratri पर्व का विशेष धार्मिक महत्व है। हिंदू धर्म ग्रंथों में मान्यता है कि इसी दिन से परमपिता परमेश्वर ब्रह्माजी ने ब्रह्मांड की रचना शुरू की थी। Chaitra Navratri 2022 से ही हिंदू कैलेंडर का नया साल संवत 2079 (हिंदू नव वर्ष 2079) शुरू होता है। इस दिन देवी के उपासक शक्ति की उपासना के साथ ही नए साल का स्वागत करते हैं। ज्योतिषियों का मानना है है कि इस साल 2022 में चैत्र नवरात्रि विशेष ग्रहों की युति के कारण काफी फलदायी होगी और कई साधकों को सिद्धि प्रदान करेगी।
इस बार 9 दिन की रहेगी चैत्र नवरात्रि
हिंदू पंचांग के मुताबिक इस बार चैत्र नवरात्रि 9 दिनों की होगी। इसका मतलब यह है कि साल 2022 में Chaitra Navratri न तो कोई क्षय होगा और न ही तिथि में वृद्धि होगी।
Chaitra Navratri में शुभ योग और ग्रहों की स्थिति
हिंदू पंचांग के जानकारों का कहना है कि Chaitra Navratri में शनि देव मंगल के साथ मकर राशि में रहेंगे, जिससे इस राशि के संबंधित जातकों को शुभ फल प्राप्त होगा और पराक्रम में वृद्धि होगी। रवि पुष्य नक्षत्र के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग भी फायदा पहुंचाएगा। शनिवार से नवरात्र की शुरुआत, शनि देव का मंगल के साथ स्वयं मकर राशि में रहना निश्चित रूप से फलदायी साबित होगा।
चैत्र नवरात्रि में जातकों को कार्य में सफलता, मनोकामनाओं की पूर्ति, साधना में सिद्धि प्राप्त होगी। चैत्र नवरात्रि के दौरान बृहस्पति शुक्र के साथ कुंभ राशि में रहेंगे। इसके अलावा मीन राशि में सूर्य, बुध के साथ मेष राशि में चंद्रमा, वृष राशि में राहु, वृश्चिक में केतु रहेंगे। ग्रहों की ये सभी स्थिति शुभ फलदायी है।
चैत्र नवरात्रि में देवी के इन 9 रूपों की करें पूजा
एकम - शैलपुत्री
द्वितीया - ब्रह्मचारिणी
तृतीया - चंद्रघंटा
चतुर्थी - कुष्मांडा
पंचमी - स्कंद माता
षष्ठी - कात्यायनी
सप्तमी-कालरात्रि
अष्टमी - महागौरी
नवमी - सिद्धिदात्री।
Chaitra Navratri का धार्मिक महत्व
ब्रह्म पुराण में चैत्र नवरात्रि के धार्मिक महत्व का जिक्र है। इसके मुताबिक चैत्र नवरात्रि के पहले दिन आदिशक्ति प्रकट हुई थी। देवी के कहने पर चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को सूर्योदय के समय ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना शुरू की थी। यही कारण है कि चैत्र नवरात्रि को सृष्टि रचना का पर्व भी कहा जाता है। चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। भगवान विष्णु का सातवां अवतार भगवान राम का है, वह भी चैत्र नवरात्रि में। इस कारण से भी चैत्र नवरात्रि का बहुत महत्व है।