चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व प्रत्येक वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होता है। नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना होती है, उसके बाद मां दुर्गा की पूजा शुरू होती है। मां दुर्गा को सुख और समृद्धि की देवी कहा जाता है। नवरात्रि के दौरान व्रत रखने और पूरी श्रद्धा से मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करने से वो अपने भक्तों पर प्रसन्न होती हैं। साथ ही उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। आइये जानते हैं चैत्र नवरात्रि के कलश स्थापना मुहूर्त, राम नवमी की तारीख और चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों के व्रत से जुड़ी अहम जानकारी।
चैत्र नवरात्रि 2023 प्रारंभ
पंचांग के अनुसार, नवरात्रि 21 मार्च दिन मंगलवार को रात 10 बजकर 52 मिनट से चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि प्रारंभ होगी और 22 मार्च दिन बुधवार को रात 08 बजकर 20 मिनट पर इस तिथि का समापन होगा। उदयातिथि की मान्यता अनुसार चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ 22 मार्च बुधवार से होगा।
कलश स्थापना मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, चैत्र नवरात्रि की कलश स्थापना 22 मार्च को होगी। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 23 मिनट से सुबह 07 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। इस दिन घटस्थापना के लिए 1 घंटा 09 मिनट का समय मिलेगा।
राम नवमी
पंचांग के अनुसार, राम नवमी 30 मार्च दिन गुरुवार को रहेगी। चैत्र शुक्ल नवमी तिथि 29 मार्च को रात 09 बजकर 07 मिनट से लेकर 30 मार्च को रात 11 बजकर 30 मिनट तक रहेगी। राम नवमी की पूजा का मुहूर्त दिन में 11 बजकर 11 मिनट से दोपहर 01 बजकर 40 मिनट तक रहेगा।
चैत्र नवरात्रि घटस्थापना के लिए संपूर्ण सामग्री
-मिट्टी का चौड़े मुंह वाला एक कलश
-मिट्टी का ढक्कन (पराई) कलश बंद करने के लिए
-पराई में भरने के लिए अनाज (चावल, गेहूं)
-पवित्र स्थान की मिट्टी
-सात प्रकार के अनाज
-कलश में भरने के लिए साफ जल
- गंगाजल
-कलश के मुंह में बांधने के लिए कलावा या मौली
-सुपारी
-आम या अशोक के पत्ते कलश को ढकने के लिए
-अक्षत (चावल)
-जटा वाला नारियल
-लाल रंग का कपड़ा नारियल के ऊपर लपेटने के लिए
-फूल, फूल माला
-दूर्वा
-सिंदूर
-पान
-लौंग
-इलायची
-बताशा
-मिठाई
-रौली
घटस्थापना की पूरी विधि
चैत्र नवरात्रि की आरंभ वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान आदि करके साफ कपड़े पहन लें। मंदिर या फिर जहां पर कलश स्थापना और मां दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करनी है उस जगह को साफ कर लें। पवित्र मिट्टी में जौ या फिर सात तरह के अनाज को मिला लें। अब कलश लें और उसमें स्वास्तिक का चिन्ह बना दें और उसके मुंह में कलावा बांध दें। अब इसमें थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर पानी दें और मिट्टी के ऊपर स्थापित कर दें। इसके बाद आम के पांच पत्तों को रखकर मिट्टी का ढक्कन रख दें और उसमें गेहूं चावल आदि भर दें। इसके बाद लाल रंग कपड़े में नारियल को लपेटकर कलावा से बांध दें और कलश के ऊपर रख दें। इसके बाद भगवान गणेश, मां दुर्गा के साथ अन्य देवी-देवताओं, नदियों आदि का आवाहन करें। फूल, माला, अक्षत, रोली क्रमश चढ़ाएं। पान में सुपारी, लौंग, इलायची, बाताशा रखकर चढ़ा दें। इसके बाद भोग लगाएं और जल अर्पित कर दें। धूप-दीपक जलाकर कलश की आरती कर लें। इसके साथ ही एक घी का दीपक लगातार 9 दिनों तक जलने दें। इसके बाद मां दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की पूजा आरंभ करें। इसी तरह पूरे नौ दिनों तक कलश की पूजा जरूर करें।
• दिन 1: घटस्थापना / प्रतिपदा- रंग- लाल
• दिन 2: द्वितीया- रंग- रॉयल ब्लू
• दिन 3: तृतीया- रंग- पीला
• दिन 4: चतुर्थी- रंग- हरा
• दिन 5: पंचमी- रंग- ग्रे
• दिन 6: षष्ठी- रंग- नारंगी
• दिन 7: सप्तमी- रंग- सफेद
• दिन 8: अष्टमी- रंग- गुलाबी
• दिन 9: नवमी- रंग- स्काई ब्लू
इस दिन, हिंदू देवी दुर्गा की पूजा करते हैं और बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाते हैं। भक्तों के लिए चैत्र नवरात्रि का बहुत धार्मिक महत्व है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार यह वह दिन है जब दुनिया अस्तित्व में आई थी। अलग-अलग राज्य इस त्यौहार को अलग-अलग नामों से पहचानते हैं। महाराष्ट्र में इसे गुड़ी पड़वा के नाम से जाना जाता है जबकि कश्मीर में इसे नवरेह के नाम से जाना जाता है।
डिसक्लेमर
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