चैत्र नवरात्रि 2023: चौथे दिन होती है माँ कूष्मांडा की पूजा, जानिए माता को प्रसन्न करने के उपाय और मंत्र
Chaitra Navratri, Day 4: सच्चे मन और विधि-विधान से मां कूष्मांडा की पूजा करने से आयु, यश, बल और आरोग्य में वृद्धि होती है।
By Shailendra Kumar
Edited By: Shailendra Kumar
Publish Date: Fri, 24 Mar 2023 03:08:53 PM (IST)
Updated Date: Fri, 24 Mar 2023 10:59:01 PM (IST)

Chaitra Navratri 2023, Mata Kushmanda: नवरात्र के चौथे दिन की अधिष्ठात्री देवी हैं मां कूष्मांडा। ये सृष्टि की आदि-स्वरूपा आदि शक्ति हैं। ब्रह्मांड को उत्पन्न करने की शक्ति प्राप्त करने के बाद उन्हें कूष्मांडा कहा जाने लगा। अपनी मंद मुस्कान द्वारा ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्मांडा देवी के रूप में पूजा जाता है। संस्कृत भाषा में कूष्मांड को कुम्हड़ कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा करने से रोग और शोक सब आपसे दूर रहते हैं। जो मनुष्य सच्चे मन से और विधि-विधान से मां की पूजा करते हैं, उनकी आयु, यश, बल और आरोग्य में वृद्धि होती है।
माता का स्वरूप
मां कूष्मांडा, अष्टभुजाओं वाली देवी हैं। मां के सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र और गदा है। वहीं आठवें हाथ में जपमाला है, जिसे सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली माना गया है। मां का वाहन सिंह है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवी कूष्मांडा का निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में माना जाता है। मां के शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान तेज है। देवी कूष्मांडा के इस दिन का रंग हरा है।
माता का मंत्र
ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
प्रार्थना मंत्र
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
मां कूष्मांडा की पूजाविधि
नवरात्र के चौथे दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और मां दुर्गा के कूष्मांडा रूप की छवि आंखों में भरते हुए पूजा में ध्यान लगाएं। पूजा में मां को लाल रंग का पुष्प, गुड़हल, या फिर गुलाब अर्पित करें। इसके साथ ही सिंदूर, धूप, दीप और नैवेद्य चढ़ाएं। मां की पूजा आप हरे रंग के वस्त्र पहनकर करें तो अधिक शुभ माना जाता है। इससे आपके समस्त दुख दूर होते हैं।
माता को करें प्रसन्न
कूष्मांडा देवी को सफेद कुम्हड़े यानी समूचे पेठे के फल की बलि दें। इसके बाद देवी को दही और हलवे का भोग लगाएं। ब्रह्मांड को कुम्हरे के समान माना जाता है, जो कि बीच में खाली होता है। देवी ब्रह्मांड के मध्य में निवास करती हैं और पूरे संसार की रक्षा करती हैं। अगर आपको साबुत कुम्हरा न मिल पाए तो आप मां को पेठे का भी भोग लगा सकते हैं।