साल 2021 का पहला चंद्रग्रहण 26 मई को होगा। खगोल वैज्ञानिकों और ज्योतिष विज्ञान के मुताबिक वैशाख पूर्णिमा के दिन होने वाला यह चंद्रग्रहण एक पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जो दुनिया के कई देशों में दिखाई देगा। हालांकि, भारत में ये पूर्ण चंद्रग्रहण नहीं दिखाई देगा इसलिए इस चंद्र ग्रहण का सूतक काल भारत में नहीं माना जाएगा।
भारत में नहीं दिखेगा चंद्र ग्रहण
ज्योतिष विज्ञान के मुताबिक चंद्र ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा क्योंकि यह एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण है और इसे भारत में नहीं देखा जा सकेगा। इसके बावजूद इस चंद्र ग्रहण का धार्मिक महत्व है। उपच्छाया ग्रहण को ज्योतिष ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखता और इसके प्रभाव व सूतक काल पर भी ध्यान नहीं दिया जाता। पूर्ण ग्रहण के समय भारत के अधिकांश हिस्सों में चंद्रमा पूर्वी क्षितिज से नीचे होगा और इसलिए देश के अधिकतर लोग पूर्ण चंद्रग्रहण नहीं देख पाएंगे।
क्या होता है सूतक काल
सूतक से अभिप्राय है ऐसा खराब समय जिसके दौरान प्रकृति संवेदनशील हो जाती है। ऐसे समय में अनहोनी होने की भी आशंका ज्यादा होती है। इसलिए इस समय कुछ कार्यों को करने में सावधानी बरतने की जरूरत होती है। सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण दोनों मे सूतक लगता है। हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार सूतक का बहुत ही महत्व है। सूर्य ग्रहण के समय सूतक 12 घंटे पहले लगता है। जबकि चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक 9 घंटे पहले लगता है। सूतक लगने के बाद मंदिर के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं। और बहुत से काम करने पर रोक लग जाती है।
सूतक काल में किन बातों का ध्यान रखना जरूरी
सूतक का प्रभाव
सूतक का प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि आप इसके उपायों का पालन करते हैं या नहीं। अगर आप सूतक से बचने के लिए उपाय करते हैं तो आपको कोई परेशानी नहीं होती है। लेकिन यदि आप सूतक के उपायों का पालन नहीं कर रहे हैं तो आपको परेशानी हो सकती है। सूतक के समय खान-पान की वस्तुएं अशुद्ध हो जाती हैं जिससे कि उनको खाने से व्यक्ति की सेहत पर प्रभाव पड़ सकता है।