नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। एकादशी पर देवशयन के बाद आज से चातुर्मास का आरंभ हो गया है। अब चार महीने तक विवाह आदि मांगलिक कार्यों पर विराम रहेगा। हिन्दू धर्मावलंबी सत्संग, भगवत पारायण, तीर्थाटन, कल्पवास करते हुए नियम संयम का पालन करेंगे।
चातुर्मास में विभिन्न व्रत त्योहार मनाए जाएंगे। ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला ने बताया धर्मशास्त्र की मान्यता के अनुसार चातुर्मास का व्रत संकल्प करने से ईष्ट की कृपा और ज्ञात अज्ञात दोषों से निवृत्ति मिलती है तथा भाग्योन्नति होती है।
चार माह यम, नियम, संयम के साथ मन व बुद्धि को साधते हुए आराधना उपासना का क्रम रहता है। कई साधक तीर्थ पर जाकर कल्पवास का व्रत लेते हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी चातुर्मास का समय शारीरिक प्रणाली को दुरुस्त करने का समय है।
चातुर्मास में श्रावण, भाद्रपदा, अश्विन व कार्तिक मास में व्रत उपवास के साथ खाद्य वस्तुओं के सेवन के भी नियम हैं। चातुर्मास के चार माह वाणी तथा क्रोध पर भी नियंत्रण रखना चाहिए।
धर्मधानी उज्जैन में तीर्थाटन का विशेष महत्व है। यह स्थान शैव व वैष्णव आराधकों का संयुक्त केंद्र है। श्रावण में देशभर से श्रद्धालु ज्योतिर्लिंग महाकाल तथा चौरासी महादेव के दर्शन करने आते हैं। भाद्रपद मास में भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली सांदीपनि आश्रम व उज्जैन के समीपस्थ ग्राम नारायणा में आस्था उमड़ेगी।
अश्विन मास में देवी के भक्त शक्तिपीठ हरसिद्धि सहित शहर के प्राचीन देवी मंदिरों में साधना करने आएंगे। कार्तिक मास में शिप्रा स्नान तथा तुलसी शालिग्राम की आराधना की महिमा बताई गई है।