Diwali 2023: दीपावली पर इस बार सोमवती अमावस्या का संयोग, धन समृद्धि के लिए ऐसे करें मां लक्ष्मी की पूजा
इस बार दीपोत्सव पर्व पर दो दिन अमावस्या तिथि पड़ रही है। खास बात यह है कि पहले दिन रविवार 12 नवंबर को अमावस्या तिथि पर प्रदोष काल होने से इसी दिन दीपावली पर्व मनाएंगे।
By Ashish Kumar Gupta
Edited By: Ashish Kumar Gupta
Publish Date: Mon, 06 Nov 2023 04:35:56 PM (IST)
Updated Date: Mon, 06 Nov 2023 04:35:56 PM (IST)

रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। इस बार दीपोत्सव पर्व पर दो दिन अमावस्या तिथि पड़ रही है। खास बात यह है कि पहले दिन रविवार 12 नवंबर को अमावस्या तिथि पर प्रदोष काल होने से इसी दिन दीपावली पर्व मनाएंगे। दूसरे दिन 13 नवंबर को उदया तिथि पर सोमवार को भी अमावस्या तिथि होने से सोमवती अमावस्या का संयोग बन रहा है। इसे दुर्लभ संयोग माना जाता है। इस दिन नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है और पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
पितृ दोष से मुक्ति के लिए पूजा
सोमवती अमावस्या के दिन पितृ दोष से मुक्ति के लिए ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करके पितरों के निमित्त जल तर्पण करें। पितरों के नाम से दान करें। इस दिन सौभाग्य योग होने से यह शुभ फलदायी है। सुबह 11 बजे से दोपहर 2.30 बजे तक पितृ दोष से मुक्ति के लिए पूजा, तर्पण, पिंडदान, अन्नदान, ब्राह्मण भोज, पंचबलि कर्म, त्रिपिंडी श्राद्ध करके दान किया जा सकता है। महामाया मंदिर के पुजारी पं. मनोज शुक्ला के अनुसार दीपावली पर लक्ष्मीजी का पूजन प्रदोष काल में करना शुभ फलदायी माना जाता है। इस कारण रविवार को प्रदोष काल में दीपावली पूजन करना श्रेष्ठ है। सोमवती अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि, आयुष्मान, शुभ योग का संयोग बन रहा है।
सोमवती अमावस्या का महत्व
सोमवती अमावस्या पर स्नान करके भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना चाहिए। सुहागिनें व्रत रखकर शिव और गौरी की पूजा करें तो शिव-पार्वती की विशेष कृपा होती है।
ऐसे करें दिवाली पूजन
दिवाली पर सोमवती अमावस्या के संयोग का लाभ उठाने के लिए रात में दिवाली पूजन करते समय भगवान शिवजी की पूजा भी देवी लक्ष्मी के साथ जरूर करें। वैसे आपको बता दें कि शास्त्रों में नियम है कि दिवाली की रात देवी लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु, काली के साथ शिवजी, सरस्वती देवी के साथ ब्रह्माजी की पूजा करनी चाहिए। गणेशजी और कुबेरजी की पूजा भी दिवाली की रात में लक्ष्मी के साथ करनी चाहिए। इससे स्थिर लक्ष्मी और धन समृद्धि का घर में आगमन होता है।