धर्म डेस्क: दीपोत्सव, जो पांच दिनों तक मनाया जाता है, भारतीय संस्कृति में धन, स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस बार दीपोत्सव (Deepotsav 2025) की शुरुआत शनिवार, 18 अक्टूबर को धनतेरस से होगी और समापन बुधवार, 23 अक्टूबर को भाई दूज पर होगा। हर दिन का अपना अलग महत्व और पूजन विधि होती है। आइए जानते हैं इन दिनों में कहां दीपक जलाने से विशेष लाभ मिलता है।
दीपोत्सव का पहला दिन धनतेरस है, जो इस बार शनिवार, 18 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन सूर्यास्त के बाद 13 दीपक जलाने का विधान है। यह कुबेर देव की कृपा प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है और इससे धन संबंधी परेशानियां दूर होती हैं। इसके साथ ही शाम को दक्षिण दिशा में चार मुख वाला यम का दीपक जलाना अत्यंत शुभ है। इससे परिवार को स्वास्थ्य और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है।
रविवार, 19 अक्टूबर को छोटी दीवाली, नरक चौदस, रूप चौदस या काली चौदस मनाई जाएगी। इस दिन हनुमान जी की पूजा का भी विशेष महत्व है। इस दिन 14 दीपक जलाने का विधान है। इन्हें घर के मंदिर, मुख्य द्वार, रसोई और तुलसी के पास जलाना शुभ फलदायी होता है। ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
मुख्य पर्व दीवाली इस बार सोमवार, 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन लक्ष्मी-गणेश पूजन का अत्यंत महत्व है। घर के मुख्य प्रवेश द्वार पर उत्तर या पूर्व दिशा में दीपक जलाना चाहिए। इसके अलावा तुलसी के पास दीपक जलाना भी शुभ होता है। यह देवी लक्ष्मी को घर में स्थायी रूप से विराजमान करने का प्रतीक है।
यह भी पढ़ें- Dhanteras 2025: इस धनतेरस आपको क्या खरीदना चाहिए? जानिए राशि के अनुसार क्या रहेगा शुभ
बुधवार, 22 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन गिरिराज महाराज की नाभि पर दीपक जलाना शुभ माना गया है। साथ ही घर के आंगन में दीपक जलाना भी अत्यंत मंगलकारी होता है। यह दिन भगवान कृष्ण की पूजा के साथ अन्नकूट के रूप में भी प्रसिद्ध है।
यह भी पढ़ें- Narak Chaturdashi 2025: रूप चतुर्दशी पर करें ये 5 उपाय, घर से नकारात्मकता और संकट होंगे दूर
दीपोत्सव का अंतिम दिन भाई दूज है, जो इस बार 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। इस दिन घर के बाहर यमराज के नाम का चौमुखा दीपक जलाया जाता है। यह दीपक घर की दहलीज के बाहर दक्षिण दिशा में रखा जाता है। मान्यता है कि इससे अकाल मृत्यु और बाधाएं दूर होती हैं तथा जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।