Dev Diwali 2022 । कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को हर साल देव दिवाली के रूप में मनाया जाता है और इस साल देव दीपावली आज 11 नवंबर को मनाई जा रही है। देव दीपावली पर्व हर साल दिवाली के 15 दिन बाद मनाया जाता है। चूंकि इस साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन 8 नवंबर को चंद्र ग्रहण लगने वाला है, इसलिए देव दीपावली एक दिन पहले 7 नवंबर को मनाई जाएगी।

देव दीपावली का बनारस में विशेष महत्व
देव दिवाली का त्योहार भारत के धार्मिक शहर वाराणसी में काफी उत्साह के साथ मनाया जाता है। लाखों लोग इस दिन दीपदान करते हैं। देव दिवाली के दिन वाराणसी में गंगा नदी में दीपदान किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन देवता धरती पर आते हैं और धार्मिक नगरी काशी में दीपावली पर्व मनाते हैं और यही कारण है कि इस देव दीपावली कहा जाता है।
देव दीपावली शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार देव दिवाली कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को हर साल मनाई जाती है। इस साल 7 नवंबर 2022 की शाम 4.15 मिनट से शुरू हो रही है और 8 नवंबर को शाम 4.31 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के मुताबिक देव दीपावली 8 नवंबर को मनाई जानी थी लेकिन चंद्र ग्रहण के कारण 1 दिन पहले 7 नवंबर को मनाई जा रही है।

देव दीपावली पर पूजन व दीपदान की विधि
- देव दिवाली के दिन जल्दी स्नान करें।
- उगते सूर्य को अर्घ्य देकर माता तुलसी को जल चढ़ाएं।
- भगवान शिव और भगवान विष्णु का पूजन करें।
- प्रदोष काल में 11, 21, 51 या 108 दीप पवित्र नदी में प्रवाहित करें।
- आटे से बने दीपकों का उपयोग करें और दीपदान से पहले दीयों पर हल्दी, कुमकुम, अक्षत अर्पित करें
दीपदान करने से होता है ये लाभ
पौराणिक मान्यता है कि देव दिवाली यानी कार्तिक पूर्णिमा के दिन सारे देवी-देवता काशी के गंगा घाट पर स्नान करने के लिए आते हैं और दीपावली मनाते हैं। इस दिन दीपदान करने से शत्रु का भय दूर हो जाता है और जीवन में सुख समृद्धि और सौभाग्य का आगमन होता है। दीपदान करने से यम, शनि, राहु-केतु के नकारात्मक असर भी खत्म होता है।
डिसक्लेमर
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
Posted By: Sandeep Chourey
- Font Size
- Close