रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)।Dev Uthani Ekadashi Date 2023: चार महीने 20 दिन पहले 29 जून को आषाढ़ शुक्ल एकादशी पर देवशयनी एकादशी मनाई गई थी। इस दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में विश्राम करने चले गए थे। तबसे, शुभ संस्कारों पर रोक लगी हुई है।
संस्कृत भारती के प्रवक्ता पं. चंद्रभूषण शुक्ला के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवोत्थनी, देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन से शुभ कार्य, मांगलिक कार्य का श्री गणेश होता है अर्थात विवाह, गृह प्रवेश आदि के मुहूर्त शुरू होते हैं।
ऐसे करें तुलसी विवाह
देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को जगाने विधिवत पूजा-अर्चना करें। शाम को आंगन में या तुलसी चौरा की लिपाई पुताई करके रंगोली से सजाएं। तुलसी चौरा के समीप चौकी या पीढ़ा में आसन बनाकर या सिंहासन पर भगवान शालिग्राम को विराजित करें। गौरी गणेश रखें , कलश में जल भरकर आमपत्ता, दूर्वा, सिक्का, हल्दी, सुपारी, अक्षत डालकर प्लेट में चावल रखकर दीपक प्रज्वलित करें। गन्ने का मंडप, आम पत्तों से तोरण बनाकर सजावट करें।
आसन में बैठकर दीपक प्रज्वलित करें। जल से त्रिआचमन, हस्तोप्रक्षालन, पवित्रीकरण, स्वस्तिवाचन, मंगल श्लोक पाठ करके संकल्प लेकर भगवान विष्णु की पूजा करें। ध्यान, स्नान, पंचामृत स्नान, शुध्द स्नान, गंगाजल स्नान, वस्त्र, जनेऊ, चंदन, इत्र, पुष्प, माला, धूप, दीप, नैवेद्य, ऋतु फल, पान सुपारी, नारियल, दक्षिणा अर्पित करें।
पुराणों में उल्लेखित है कि स्वर्ग में भगवान श्रीविष्णु के साथ लक्ष्मीजी का जो महत्व है वही धरती पर तुलसी का है। इसी के चलते भगवान को जो व्यक्ति तुलसी अर्पित करता है उससे वह अति प्रसन्न होते हैं। बद्रीनाथ धाम में तो यात्रा मौसम के दौरान श्रद्धालुओं द्वारा तुलसी की करीब दस हजार मालाएं रोज चढ़ाई जाती हैं।