
धर्म डेस्क। देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi 2025) 1 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु जी अपनी चार माह की योगनिद्रा से जागते हैं, और इसी के साथ मांगलिक कार्यों का शुभारंभ भी होता है। यह व्रत अत्यंत सात्विक और पवित्र माना जाता है, इसलिए इसके नियमों का पालन विशेष रूप से आवश्यक है।
इस दिन आप सभी प्रकार के ताजे फल जैसे केला, सेब, अमरूद, पपीता, अनार आदि खा सकते हैं। साथ ही बादाम, काजू, किशमिश और अखरोट जैसे सूखे मेवे भी ऊर्जा प्रदान करते हैं।
आलू, शकरकंद, अरबी और साबूदाना इस दिन खाए जा सकते हैं। इनसे व्रत वाले स्वादिष्ट व्यंजन तैयार किए जा सकते हैं।
व्रत में गेहूं या चावल नहीं खाया जाता, इसलिए कुट्टू का आटा, सिंघाड़े का आटा या राजगीरे का आटा उत्तम विकल्प हैं। इनसे पूड़ी, पराठा या पकौड़ी बनाई जा सकती है।
व्रत में दूध, दही, छाछ, पनीर और घी का सेवन शुभ माना गया है। ये शरीर को शक्ति और संतुलन प्रदान करते हैं।
केवल सेंधा नमक का उपयोग करें। स्वाद के लिए काली मिर्च, हरी मिर्च, अदरक और जीरा पाउडर जैसे सात्विक मसालों का प्रयोग किया जा सकता है।
इस दिन चावल, गेहूं, जौ, बाजरा, मक्का और सभी प्रकार की दालें नहीं खानी चाहिए। ये व्रत को अशुद्ध बनाते हैं।
लहसुन, प्याज, मांस, मछली और मदिरा जैसे तामसिक पदार्थों का सेवन सख्त वर्जित है।
व्रत में साधारण नमक की जगह केवल सेंधा नमक का प्रयोग करें।
गोभी, गाजर, पालक, बैंगन और शलजम जैसी सब्जियां इस दिन नहीं खानी चाहिए।
प्रातः स्नान के बाद भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें।
इस दिन मन, वचन और कर्म से पूर्ण सात्त्विकता और ब्रह्मचर्य का पालन आवश्यक है।
एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। यदि भोग में उपयोग करना हो तो उन्हें एक दिन पहले ही तोड़ लें।
इस दिन किसी की निंदा, झूठ बोलना या वाद-विवाद करना वर्जित माना गया है।
एकादशी के दिन सोना मना है। इस दिन रात्रि में भजन-कीर्तन और विष्णु नामस्मरण करना अत्यंत शुभ होता है।
व्रत का पारण द्वादशी तिथि के शुभ मुहूर्त में करें। पारण के समय चावल या तामसिक वस्तुओं का उपयोग न करें।