पूरे देश में दिवाली के दो दिन पहले धनतेरस का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार धनतेरस 5 नवंबर को पड़ रहा है। इस दिन धन आरोग्य के लिए भगवान धन्वंतरि पूजे जाते हैं। कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन यह पर्व भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में वैद्य समाज द्वारा मनाया जाता है, जिसके अंतर्गत भगवान धन्वंतरि की आराधना कर आभार माना जाता है।
हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान धन्वंतरि को चिकित्साशास्त्र और आयुर्वेद का प्रणेता माना जाता है। भगवान धन्वंतरि की गणना 24 अवतारों में की जाती है, इसलिए प्रभु धन्वंतरि को भगवान विष्णु, श्रीराम और श्रीकृष्ण की समान ही पूज्यनीय माना जाता है।
गौरतलब है कि आयुर्वेद, रामायण, महाभारत सहित विविध पुराणों में भगवान धन्वंतरि का उल्लेख मिलता है। विष्णु पुराण के अनुसार भगवान धन्वंतरि को दीर्घतथा के पुत्र बताया गया है। जिसके अनुसार धन्वंतरि को शारीरिक विकारों से रहित देह वाला बताया गया है।
विष्णु पुराण के मुताबिक भगवान विष्णु ने उन्हें पूर्व जन्म में वरदान दिया था कि काशिराज के वंश में उत्पन्न होकर आयुर्वेद को आठ हिस्सों में विभक्त करोगे। वहीं महाकवि व्यास द्वारा रचित श्रीमद भागवत पुराण के अनुसार धन्वंतरि को भगवान विष्णु के अंश माना है।
मान्यता है कि यदि कोई विभिन्न शारीरिक बीमारियों से ग्रस्त है तो उसे भगवान धन्वंतरि की पूजा करना चाहिए। इस दौरान 'ऊं धाम धन्वंतरि नम:' मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। कहा गया है कि धनतेरस के दिन इस मंत्र का उच्चारण करने से पुरानी बीमारियां भी दूर हो जाती हैं। साथ ही महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी अत्यंत फलदायी बताया गया है। ज्योतिष के अनुसार, यदि परिवार का कोई सदस्य लंबे समय से बीमार है या आप अपने माता-पिता, बच्चों, पति या पत्नी की दीर्घायु के लिए कामना करना चाहते हैं तो धन्वंतरि का ध्यान करते हुए 13 दीपक जलाएं।साथ ही धनतेरस की पूजा में धन्वंतरि के साथ माता लक्ष्मी, गणेश और कुबेर की एक साथ पूजा करना फलदायी है।