10 मई, महर्षि भृगु जयंती विशेष...
महर्षि भृगु एक ऋषि थे, जिन्हें सप्तर्षि का पद प्राप्त है। उन्हें भृगु संहिता के लेखक और अपने गुरु मनु के लिखे मनुस्मृति को संरक्षित और संवर्धित करने के लिए जाना जाता है। महर्षि के बारे में रोचक बातें...
- महर्षि भृगु ब्रह्मा जी के 9 मानस पुत्रों में से हैं।
- प्रजापति दक्ष की कन्या ख्याति देवी को महर्षि भृगु ने पत्नी रूप में स्वीकार किया, जिनसे इनकी पुत्र-पौत्र परम्परा का विस्तार हुआ।
- महर्षि भृगु के वंशज 'भार्गव' कहलाते हैं। महर्षि भृगु तथा उनके वंशधर अनेक मन्त्रों के दृष्टा हैं। ऋग्वेद में उल्लेख आया है कि कवि उशना (शुक्राचार्य) भार्गव कहलाते हैं।
- भृगु वैदिक ग्रन्थों में बहुचर्चित एक प्राचीन ऋषि है। वे वरुण के पुत्र कहलाते हैं और पितृबोधक 'वारुणि' उपाधि धारण करते हैं।
- भृगु ने ही भृगु संहिता की रचना की। उसी काल में उनके भाई और गुरु स्वायंभुव मनु ने मनु स्मृति की रचना की थी।
- महर्षि च्यवन इन्हीं के पुत्र हैं। भृगु के और भी पुत्र थे जैसे उशना आदि।
- ऋग्वेद में भृगुवंशी ऋषियों द्वारा रचित अनेक मंत्रों का वर्णन मिलता है जिसमें वेन, सोमाहुति, स्यूमरश्मि, भार्गव, आर्वि आदि का नाम आता है। भार्गवों को अग्निपूजक माना गया है। दाशराज्ञ युद्ध के समय भृगु मौजूद थे।
- इनके रचित कुछ ग्रंथ हैं 'भृगु स्मृति' (आधुनिक मनुस्मृति), 'भृगु संहिता' (ज्योतिष), 'भृगु संहिता' (शिल्प), 'भृगु सूत्र', 'भृगु उपनिषद', 'भृगु गीता' आदि। 'भृगु संहिता' आज भी उपलब्ध है जिसकी मूल प्रति नेपाल के पुस्तकालय में ताम्रपत्र पर सुरक्षित रखी है। इस विशालकाय ग्रंथ को कई बैलगाड़ियों पर लादकर ले जाया गया था। भारतवर्ष में भी कई हस्तलिखित प्रतियां पंडितों के पास उपलब्ध हैं किंतु वे अपूर्ण हैं।