नईदुनिया प्रतिनिधि, श्योपुर। गुरु के पूजन का पर्व गुरु पूर्णिमा आज मनाई जा रही है। शहर सहित अंचल के प्रमुख मठ-मंदिर और गुरुधामों पर गुरुपूर्णिमा महोत्सव मनाया जाएगा, जहां गुरुपूजन और भंडारे के कार्यक्रम आयोजित होगे। जिसकी तैयारियां पूरी कर ली गई है। खास बात यह है कि इस बार गुरु पूर्णिमा काफी खास है।
क्योकि इस बार गुरुवार और गुरुपूर्णिमा के एक साथ आने का अत्यंत दुर्लभ संयोग बन रहा है। जो अत्यधिक शुभ माना जाता है। वहीं इंद्र योग बन रहा है। इंद्र योग सुबह से लेकर रात 9 बजकर 38 के लगभग तक रहेगा। उसके बाद से वैधृति योग बनेगा। साथ ही भद्रा का भी असर रहेगा, लेकिन यह भद्रा पाताल लोक में रहने के कारण इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
पं चंद्रप्रकाश शास्त्री के मुताबिक गुरुवार बृहस्पति ग्रह और विष्णु भगवान को समर्पित दिन होता है और गुरु पूर्णिमा ज्ञान, उपासना और श्रद्धा का पर्व है। यह दोनों जब एक साथ आते हैं तो यह काल धार्मिक अनुष्ठानों के लिए सर्वश्रेष्ठ हो जाता है। इस विशेष दिन श्री सत्यनारायण भगवान की कथा का आयोजन करने से जीवन के सभी क्षेत्रों में चमत्कारिक सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।
पूर्णिमा की तिथि हर महीने आती है, लेकिन साल की कुछ पूर्णिमा तिथि पूजापाठ और अनुष्ठान के लिए विशेष मानी जाती है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा भी उनमें से एक होती है। इस वक्त भगवान विष्णु योग निद्रा में होते हैं और गुरु पूर्णिमा पर उनके ही स्वरूप सत्यनारायण भगवान की पूजा करने से घर में सुख शांति स्थापित होती है और पारिवारिक क्लेश दूर होते हैं।
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु के महत्व का विशेष रूप से वर्णन किया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुरु पूर्णिमा पर गुरुजनों का आशीर्वाद प्राप्त करने से जीवन में सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके साथ इस दिन को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
दरअसल इसी दिन महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था, जिन्होंने महाकाव्य महाभारत की रचना की थी। ऐसी मान्यता है कि इस दिन वेद व्यास जी ने चारों वेदों की रचना की थी। इस दिन गुरु अपने शिष्यों को दीक्षा भी देते हैं। इस दिन सभी लोग अपने गुरुओं की पूजा करते हैं।
श्योपुर में जतीधाम धाम सहित गायत्री शक्तिपीठ, संत अवध बिहारी आश्रम, सिरोनी, आसाराम गोशाला, जाटखेड़ा, ढेंगदा आश्रम, मंशापूर्ण हनुमान मंदिर पर गुरु पूर्णिमा महोत्सव मनाया जाएगा,जिसके चलते यहां शिष्यों का जमावड़ा लगेगा। इन धामों पर पहुंचकर शिष्य गुरुओं की चरण वंदना करेंगे। कई गुरुधामों में भंडारे भी आयोजित किए जाएंगे। इसके अलावा मेवाडा में पीर बाबा की दरगाह पर गांव के लोग मिलकर गुरु पूर्णिमा पर्व मनाते हैं।