Hanuman Janmotsav 2020: महाबली हनुमान को शास्त्रों में अनेकों नामों से पुकारा गया है। उनके नाम लेने मात्र से भक्तों के सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। जब कभी भक्त श्रद्धा और भक्ति के साथ पवनसुत हनुमान का स्मरण करते है वह अपने भक्त की तकलिफों के निवारण के लिए आते हैं। अपने उपासक के कष्टों का नाश करते हैं और उसको बेहतर जिंदगी का आशीर्वाद देते हैं। इसीलिए बजरंगबली को संकटमोचन भी कहा जाता है।
संकटमोचन हनुमानअष्टक है हनुमान स्तुति
पवनसुत हनुमान विघ्न विनाशक देवता और संकटों का हरण करने वाले देवता हैं। बजरंगबली महादेव का अवतार होने के साथ सभी कल्याणकारी शक्तियों के स्वामी है। नौ निधि और अष्टसिद्धि के दाता है। उनकी भक्ति से मानव को बुरे कर्मों से छुटकारा मिलता है और जीवन में सदकर्मों को करने की प्रेरणा मिलती है। किसी विपदा से पार पाने के लिए हनुमान आराधना विशेश फलदायी होती है। पवनपुत्र हनुमान की स्तुति अनेक तरिकों से की जाती है। ऐसी ही बजरंगबली की एक स्तुति हनुमानअष्टक है।
इसका पाठ हनुमान भक्त कष्टों के नाश और सुख-समृद्धि के लिए करते हैं। मान्यता है कि हनुमानजी आज भी धरती पर निवास करते हैं इसलिए जो भक्त उनको श्रद्धा के साथ याद करता है वह उसके कष्टों दूर करने के लिए चले आते हैं। संकटमोचन हनुमान अष्टक को हनुमानजी की सबसे असरदार स्तुति कहा जाता है। संकटमोचन हनुमान अष्टक में हनुमान की शक्तियों और गुणों का भाव भरा स्मरण किया गया है। इसमें आठ मंत्र रूपी आठ दोहे हैं, जिनमें हनुमान जी की शक्तियों का गुणगान किया गया है। इसमें हनुमान की मदद से श्रीराम द्वारा लंका विजय को भी बताया गया है।
संकटमोचन हनुमानअष्टक के लाभ
संकटमोचन हनुमानअष्टक का मूल भाव कष्टों का नाश करने वाले हनुमानजी की आराधना कर उनसे जीवन में संकटों से मुक्ति की प्रार्थना करना है। इसके पाठ से हनुमान भक्त और उसके परिवार पर बजरंगबली की कृपा बनी रहती है। संकटमोचन हनुमानअष्टक के पाठ से शत्रुबाधा का निवारण होता है और जीवन में आने वाले खतरों से भी मुक्ति मिलती है। मानव जीवन की बाधाओं का निवारण होता है। हनुमानजी की यह स्तुति प्रतिदिन घर और हनुमान मंदिर में कर सकते है। रोजाना न कर सकें को मंगलवार और शनिवार को संकटमोचन हनुमानअष्टक का पाठ किया जा सकता है। इसके पाठ से शनि और मंगल के दुष्प्रभाव से छुटकारा मिलता है। कारोबार में लाभ होता है और शैक्षणिक में उत्तम सफलता मिलती है।
संकटमोचन हनुमानअष्टक
बाल समय रवि भक्ष लियो, तब तिनहुं लोक भयो अंधियारो।
ताहि सो त्रास भयो जग को, यह संकट काहू सो जाता न टारो।
देवन आनी करी विनती तब, छांड़ि दियो रवि कष्ट निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकट मोचन नाम तिहारो।।1।।
बालि की त्रास कपीस बसै गिरी, जात महा प्रभु पंथ निहारो।
चौंकि महा मुनि शाप दियो, तब चाहिए कौन विचार विचारौ।।
ले द्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के शोक निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो।।2।।
अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो।
जीवत न बचिहौं हम सो जुं, बिना सुधि लाए इहां पगु धारो।।
हेरी थके तट सिन्धु सबै तब, लाय सिया सुधि प्रान उबारो।
को नहीं जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो।।3।।
रावन त्रास दई सिय को तब, राक्षसि सो कही शोक निवारो।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाय महा रजनीचर मारो।।
चाहत सिय अशोक सो आगि सु, दे प्रभु मुद्रिका सोक निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो।।4।।
बाण लग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सुत रावन मारो।
ले गृह वैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोन सु बीर उबारो।।
लानि संजीवन हाथ दई तब, लछिमन को तुम प्राण उबारो।
को नहीं जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो।।5।।
रावण जुद्ध अजान कियो तब, नाग की फांस सबै सिर डारो।
श्री रघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो।।
आनि खगेस तबै हनुमान जु, बंधन काटी सुत्रास निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो।।6।।
बंधू समेत जबै अहिरावन, ले रघुनाथ पताल सिधारो।
देविहिं पूजि भली विधि सो बलि, देउ सबै मिली मंत्र विचारो।।
जाय सहाच भयो तबहीं, अहिरावन सैन्य समेत संहारो।
को नहीं जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो।।7।।
काज किये बड़ देवन के तुम, बीर महाप्रभु देखि बिचारो।
कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसो नहिं जात है टारो।।
बैगि हरौ हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होया हमारो।
को नहीं जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो।।8।।
दोहा –
लाल देह लाली लसै, अरु धरि लाल लंगूर।
बज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर।।