धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल सावन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के अगले दिन हरियाली अमावस्या मनाई जाती है। यह पर्व देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है और पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण व पिंडदान किया जाता है।
हरियाली अमावस्या पर शिव भक्ति के साथ-साथ पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करने का भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि अमावस्या तिथि पर भगवान शिव की उपासना से व्यक्ति मानसिक और शारीरिक परेशानियों से मुक्ति पाता है। इस दिन अनेक श्रद्धालु गंगा, यमुना या किसी पवित्र नदी में स्नान करके पुण्य अर्जित करते हैं।
वर्ष 2025 में हरियाली अमावस्या 24 जुलाई को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, सावन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 24 जुलाई को रात 2:27 बजे समाप्त होगी और अमावस्या तिथि 2:28 बजे से प्रारंभ होगी। अमावस्या तिथि का समापन 25 जुलाई को रात 12:40 बजे होगा। चूंकि सनातन धर्म में उदया तिथि का पालन होता है, इसलिए हरियाली अमावस्या 24 जुलाई को मनाई जाएगी।
- हर्षण योग सुबह 09 बजकर 51 मिनट तक है।
- गुरु पुष्य योग शाम 04 बजकर 43 मिनट से
- सर्वार्थ सिद्धि योग और शिववास योग दिन भर है।
- अमृत सिद्धि योग शाम 04 बजकर 43 मिनट से है।
- पुनर्वसु नक्षत्र शाम 04 बजकर 43 मिनट तक है।
- पुनर्वसु नक्षत्र के बाद पुष्य नक्षत्र का संयोग बनेगा।
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