धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Hariyali Teej सावन मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस दिन को माता पार्वती और भगवान शिव के पुनर्मिलन का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, माता पार्वती की कई जन्मों की तपस्या के बाद शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। विवाहित महिलाएं इस दिन अपने वैवाहिक जीवन की सुख-शांति और पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। हरे वस्त्र, चूड़ियां, मेहंदी और सोलह श्रृंगार के साथ महिलाएं सजधज कर शिव-पार्वती की पूजा करती हैं।
Hartalika Teej भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। इसे सबसे कठिन व्रतों में गिना जाता है क्योंकि इसे निर्जला, यानी बिना पानी के रखा जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, माता पार्वती ने इस व्रत के दिन अन्न-जल त्यागकर घोर तप किया था और बालू से शिवलिंग बनाकर भगवान शिव की आराधना की थी। विवाहित स्त्रियां अखंड सौभाग्य और पति की दीर्घायु की कामना से यह व्रत करती हैं।
दोनों तीज व्रतों में शिव-पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। जहां हरियाली तीज को श्रृंगार और पुनर्मिलन का पर्व माना जाता है, वहीं हरतालिका तीज को तपस्या और संकल्प का प्रतीक माना जाता है। कुंवारी कन्याएं भी सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए इन दोनों पर्वों पर व्रत करती हैं।
इस वर्ष हरियाली तीज 27 जुलाई को और हरतालिका तीज 26 अगस्त को मनाई जाएगी। दोनों पर्वों की तिथि शुक्ल पक्ष की तृतीया होती है, इसलिए इन्हें 'तीज' कहा जाता है। ये पर्व भारतीय संस्कृति में स्त्री-शक्ति, भक्ति और वैवाहिक जीवन की आस्था का सशक्त प्रतीक हैं।