Vikram Samvat Interesting Facts: दुनिया में नेपाल अकेला ऐसा देश, जो विक्रम संवत से चलता है, जानें ये रोचक बातें
Hindu New Year Vikram Samvat विक्रम संवत से पहले भारतवर्ष में सप्तर्षि संवत चलन में था। करीब 5000 साल पहले द्वापर युग भगवान श्रीकृष्ण का
By Sandeep Chourey
Edited By: Sandeep Chourey
Publish Date: Wed, 22 Mar 2023 10:48:56 AM (IST)
Updated Date: Wed, 22 Mar 2023 10:52:15 AM (IST)

Hindu New Year Vikram Samvat। चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि के साथ ही हिंदू नववर्ष यानी विक्रम संवत 2080 की शुरुआत हो गई है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी देखा जाए तो ग्रेगोरियन कैलेंडर से विक्रम संवत करीब 57 वर्ष आगे चलता है। आज दुनिया के अधिकांश देशों में भले ही ग्रेगोरियन कैलेंडर चलन में आ गया है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया में नेपाल ही ऐसा एकमात्र देश में हैं, दो विक्रम संवत के हिसाब से देश को चलाता है। नेपाल की सरकार के साथ-साथ आम जनता ही हिंदू नववर्ष गुड़ी पड़वा को ही साल का पहला दिन मानती है और इसी के हिसाब के पूरे कार्यक्रम निर्धारित करती है।
नेहरू ने ग्रेगोरियन कैलेंडर अपनाया
1947 में देश जब आजाद हुआ तो शुरुआत में कुछ साल देश में विक्रम संवत ही चलन में था लेकिन साल 1954 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने विक्रम संवत के स्थान पर ग्रेगोरियन को प्राथमिकता दी। देश में सभी सरकारी कामकाज विक्रम कैलेंडर के स्थान पर ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से होने लगे लेकिन नेपाल ने विक्रम कैलेंडर को अपनाए रखा और आज भी देश में इसी के अनुरूप कामकाज निर्धारित होते हैं।
1901 से नेपाल में विक्रम संवत कैलेंडर लागू
नेपाल में आधिकारिक तौर पर विक्रम संवत कैलेंडर का उपयोग 1901 ईस्वी में शुरू किया गया। नेपाल में राणा वंश के राजाओं ने विक्रम संवत को आधिकारिक हिंदू कैलेंडर घोषित किया था। नेपाल में नया साल वैशाख महीने के पहले दिन से शुरू होता है। नेपाल में नए साल के पहले दिन सार्वजनिक अवकाश भी घोषित होता है।
राजा विक्रमादित्य के नाम पर विक्रम संवत कैलेंडर
गौरतलब है कि राजा विक्रमादित्य के नाम पर विक्रम संवत कैलेंडर की शुरुआत की गई थी। संस्कृत में संवत शब्द का अर्थ वर्ष होता है। ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर यह माना जाता है कि राजा विक्रमादित्य का जन्म 102 ईसा पूर्व में हुआ था और उनका निधन 15 ईस्वी में हुआ था। भारतीय इतिहास में राजा विक्रमादित्य को यशस्वी राजा के रूप में याद किया जाता है और उन्होंने कई परोपकारी कार्य किए थे। न्यायप्रिय राजा विक्रमादित्य ने देशवासियों को शकों के अत्याचारी शासन से मुक्त किया था।
विक्रम संवत से पहले चलता था सप्तर्षि संवत
ऐसा माना जाता है कि विक्रम संवत से पहले भारतवर्ष में सप्तर्षि संवत चलन में था। करीब 5000 साल पहले द्वापर युग भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। इसके बाद श्रीकृष्ण के नाम से संवत प्रचलित हुआ। धार्मिक मान्यता भी है कि द्वापर युग में राजा परीक्षित के निधन के बाद कलयुग की शुरुआत हो गई है। श्रीकृष्ण संवत या सप्तर्षि संवत के करीब 3000 साल बाद विक्रम संवत की शुरुआत हुई, जो आज तक प्रचलित है। सप्तर्षि संवत भारत का प्राचीन संवत माना जाता है, जो करीब 3076 ईसा पूर्व शुरू हुआ था। महाभारत काल तक सप्तर्षि संवत का ही प्रयोग हुआ था। पुराण, महाभारत, राजतरंगिणी, श्रीलंका का प्रसिद्ध ग्रंथ महावंश आदि में सप्तर्षि संवत का जिक्र मिलता है।