Holi 2025 Date: इस बार मध्यरात्रि में होलिका दहन, फाल्गुनी पूर्णिमा पर भद्रा के चलते प्रदोष नहीं
इस बार होली दहन को लेकर ज्योतिषियों का स्पष्ट कहना है कि यह दहन 13 मार्च की मध्य रात्रि ही होगा। भद्रा मुख में दहन अनिष्टकारी होता है इसलिए विशेष परिस्थिति में शास्त्र देते मुख में दहन की अनुमति है।
Publish Date: Mon, 17 Feb 2025 07:41:02 PM (IST)
Updated Date: Tue, 18 Feb 2025 12:46:21 AM (IST)
होली दहन का सांकेतिक फोटो। सोर्स एक्स ग्रोक।HighLights
- होली पर्व पर 12 घंटे 51 मिनिट रहेगी भद्रा का साया।
- दहन के लिए मिलेंगे एक घंटा 4 मिनिट का श्रेष्ठ समय।
- ज्योतिर्विदों के अनुसार भद्रा मुख में दहन अनिष्टकारी।
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। रंगों के त्योहार होली पर फाल्गुनी पूर्णिमा के दिन 13 मार्च को होलिका दहन पर भद्रा का साया पड़ रहा है। इसके चलते प्रदोषकाल नहीं मध्यरात्रि में होलिका दहन के लिए 1 घंटे 04 मिनिट का श्रेष्ठ समय होगा। इस दिन भद्रा 12 घंटे 51 मिनिट रहेगी। ऐसे में ज्योतिर्विदों के मुताबिक यदि भद्रा मध्यरात्रि तक व्याप्त हो तो भद्रा के मुख को छोड़कर पूंछ में होलिका दहन की अनुमति शास्त्रों में दी गई है।
यह रहेगा पूर्णिमा के आरंभ होने का समय
- फाल्गुनी पूर्णिमा की शुरुआत 13 मार्च को सुबह 10.35 बजे से 14 मार्च को दोपहर 12.23 तक रहेगी। साथ ही भद्रा भी पूर्णिमा के साथ शुरू हो कर रात 11.26 तक रहेगी।
- भद्रा के मुख का समय रात 8.14 से रात 10.22 बजे एवं भद्रा की पूंछ का समय शाम 6.57 से रात 8.14 बजे तक होगा।
- ज्योतिर्विद् शिव नारायण तिवारी के अनुसार हिंदु धार्मिक ग्रंथों के अनुसार होलिका दहन सूर्यास्त के बाद प्रदोष के समय जब पूर्णिमा तिथि व्याप्त हो करना चाहिए।
- भद्रा अगर पूर्णिमा तिथि के पूर्वाद्ध में व्याप्त होती है तो उस समय होलिका पूजा एवं दहन नहीं करना चाहिए। इसमें सभी शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं।
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दहन के दौरान रखा जाता इन बातों का ध्यान
- ज्योर्तिविद् विनायक तिवारी ने बताया कि भद्रा रहित प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तिथि पर होलिका दहन उत्तम बताया गया है।
- यदि भद्रा रहित प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा का अभाव हो परंतु भद्रा मध्य रात्रि से पहले ही समाप्त हो जाए तो प्रदोष के पश्चात जब भद्रा समाप्त हो तब होलिका दहन करना चाहिए।
- यदि भद्रा मध्य रात्रि तक व्याप्त हो तो ऐसी परिस्थिति में भद्रा पूंछ के दौरान होलिका दहन किया जा सकता है। भद्रा मुख में होलिका दहन को सिरे से नकारा गया है।
- धर्म सिंधु के अनुसार भद्रा मुख में किया होली दहन अनिष्टकारी है। किसी-किसी वर्ष भद्रा पूंछ प्रदोष के बाद और मध्य रात्रि के बीच व्याप्त ही नहीं होती तो ऐसी स्थिति में प्रदोष के समय होलिका दहन किया जा सकता है।
कभी-कभी दुर्लभ स्थिति में यदि प्रदोष और भद्रा पूंछ दोनों में ही होलिका दहन सम्भव न हो तो प्रदोष के पश्चात होलिका दहन करना चाहिए। ![naidunia_image]()
धुलेंडी पर चंद्रग्रहण, नहीं लगेगा सूतक
- होलिका दहन के अगले दिन धुलंडी पर 14 मार्च को चंद्र ग्रहण पड़ेगा। ग्रहण सुबह 9 बजकर 29 मिनट से लगकर दोपहर 3.29 मिनट तक रहेगा।
- भारत में यह चंद्र ग्रहण नहीं दिखाई देने से इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।इसका किसी भी प्रकार से कोई धार्मिक महत्व नहीं होगा।
- ज्योतिषियों के मुताबिक इस दौरान चंद्रमा कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में विराजमान रहेंगे।
- इस दौरान कन्या राशि में पहले से ही केतु रहेंगे, जिससे दो ग्रहों की युति होगी। माना जा रहा है कि इस युति से ''''ग्रहण योग'''' बन रहा है।
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