Jagannath Rath Yatra: 1987 में ओडिशा के संत ने निकाली थी पहली रथ यात्रा… इस आदिवासी क्षेत्र में अब तक जारी है परंपरा
Jagannath Rath Yatra: शांति निकेतन मैया ने बताया कि उनकी मुलाकात पांच वर्ष की आयु में तुलसीघाट वाले बाबा के नाम से प्रसिद्ध उड़ीसा प्रांत के रहने वाले महान संत से हुई थी। वह तभी से उनकी भक्ति में रह रही हैं। यहां बाबाजी के निर्देशानुसार उनका समाधि स्थल भी बनाया गया है।
Publish Date: Fri, 27 Jun 2025 02:34:34 PM (IST)
Updated Date: Fri, 27 Jun 2025 02:34:34 PM (IST)

नईदुनिया प्रतिनिधि, डिंडौरी Jagannath Rath Yatra : मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल डिंडौरी के ग्राम पिंजरहा टोला में 38 वर्ष पहले भगवान जगन्नाथ स्वामी की रथयात्रा निकालने की पहल अब भी जारी है। ओडिशा से आए संत द्वारा यह पहल शुरू की गई थी।
करंजिया विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत चंदना के पोषक गांव पिंजरहाटोला में शुक्रवार को धूमधाम से भक्तों द्वारा भगवान जगन्नाथ स्वामी की रथयात्रा का भव्य आयोजन किया गया। रथयात्रा में सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए।
गौरतलब है कि आदिवासी बहुल जिले के अंदर अब तक एकमात्र गांव पिंजरहाटोला हैं, जहां प्रतिवर्ष रथयात्रा का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन में आमजन उत्साह उमंग से शामिल होते हैं।
ओडिशा के संत ने की थी शुरुआत
- स्थानीय लोगों के अनुसार यहां रथयात्रा आयोजन करने की शुरुआत तुलसीघाट वाले बाबा के नाम से प्रसिद्ध संत द्वारा की गई थी, जो मूलत: ओडिशा प्रांत के रहने वाले थे। वर्ष 1987 में पहली बार यहां से रथयात्रा निकाली गई थी।
आज भी उन्हीं के अनुयायी इस परंपरा का निर्वहन कर रहें हैं। भगवान जगन्नाथ मंदिर की प्रमुख परम वैष्णवी शांति निकेतन मैया ने बताया कि शुक्रवार को भव्यता से रथयात्रा निकाली जा रही है।
भक्त व अनुयायियों की मौजूदगी में सुबह भगवान जगन्नाथ मंदिर में दस बजे धूमधाम से नेत्र उत्सव कार्यक्रम मनाया गया। हवन, पूजन व धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन चलता रहा। जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।
शुक्रवार को ब्रम्ह मुहूर्त में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ भगवान जगन्नाथ जी की विधिवत पूजा आराधना हुई और आरती की गई। पूजा के समापन के बाद कन्या भोजन कराया गया।
भगवान को बालभोग कराने के बाद दोपहर में विभिन्न पकवान का भोग लगाकर भात का महाप्रसाद वितरण किया गया। शाम चार बजे मंदिर परिसर से बैंड-बाजे और आतिशबाजी करते हुए रथयात्रा प्रारंभ की गई।
इसके अलावा मंदिर परिसर में सुबह से कीर्तन भजन का कार्यक्रम निरंतर चलता रहेगा। भंडारा प्रसाद वितरण किया जाएगा। 1970 में बिताया था चार्तुमास
तुलसी घाट वाले बाबा के बारे में उनके अनुयायी बताते हैं कि तुलसीघाट वाले बाबा ने 1970 में नर्मदा परिक्रमा के दौरान यहां चार्तुमास काटा था। तभी से उन्हें यह स्थान पसंद आया था। गुरूजी ने चर्तुमास काटने के बाद नर्मदा परिक्रमा यात्रा के समापन के बाद पुनः 1972 में वापस आकर ग्राम पंचायत मूसामुंडी के तुलसीघाट में आकर बस गए। यहां वे भगवान की अराधना में लीन रहकर आमजन को आध्यात्मिक लाभ पहुंचाया।
बताया गया कि पहली बार वर्ष 1987 में तुलसी घाट से भगवान जगन्नाथ स्वामी की यात्रा निकालने की शुरुआत हुई थी। कुछ वर्षों तक रथयात्रा यहीं से निकाली जाती रही। अब यात्रा पिंजरहाटोला गांव से निकाली जाती है।