Jyeshtha Purnima 2025: कब है ज्येष्ठ पूर्णिमा? जानें पूजा विधि, शुभ समय और नियम
वट पूर्णिमा व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो नारी शक्ति, प्रेम, समर्पण और पतिव्रता धर्म का प्रतीक माना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, उत्तम स्वास्थ्य और सुखमय वैवाहिक जीवन की कामना से निर्जला व्रत रखती हैं। आइए विस्तार से जानते हैं शुभ मुहूर्त से लेकर पूजा विधि नियम।
By Himadri Hada
Edited By: Himadri Hada
Publish Date: Mon, 09 Jun 2025 07:29:45 PM (IST)
Updated Date: Mon, 09 Jun 2025 08:50:03 PM (IST)
वट पूर्णिमा व्रत 2025।HighLights
- वट पूर्णिमा व्रत हिंदू धर्म में पतिव्रता धर्म का प्रतीक मानते हैं।
- व्रत के पारण के समय पति को तिलक लगाएं, चरण स्पर्श करें।
- व्रत के दिन सोलह श्रृंगार करें और पवित्रता का पूरा ध्यान रखें।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वट पूर्णिमा व्रत हिंदू धर्म में नारी शक्ति, प्रेम, समर्पण और पतिव्रता धर्म का प्रतीक माना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, उत्तम स्वास्थ्य और सुखमय वैवाहिक जीवन की कामना से निर्जला व्रत रखती हैं। वट वृक्ष की पूजा कर महिलाएं सावित्री-सत्यवान की कथा का स्मरण करती हैं। यह पर्व साल में दो बार आता है—पहला ज्येष्ठ अमावस्या को (जिसे वट सावित्री कहते हैं) और दूसरा ज्येष्ठ पूर्णिमा को, जिसे वट पूर्णिमा कहा जाता है।
इस वर्ष 2025 में वट पूर्णिमा व्रत 10 जून को मनाया जाएगा। पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 10 जून सुबह 11:35 बजे से होगी और समाप्ति 11 जून दोपहर 1:13 बजे पर है। इस दिन व्रत, दान और पूजन से पुण्यफल की प्राप्ति होती है। लेकिन इस दिन कुछ विशेष नियमों का पालन करना भी जरूरी है ताकि व्रत का फल प्राप्त हो सके।
वट पूर्णिमा पर क्या करें?
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ, साफ वस्त्र पहनें।
- वट वृक्ष की पूजा करें। जल अर्पण करें और हल्दी-कुमकुम से श्रृंगार करें।
- लाल धागे से वट वृक्ष की सात परिक्रमा करें।
- सावित्री-सत्यवान की कथा पढ़ें या सुनें।
- दिनभर निर्जला व्रत रखें और संकल्प के साथ पूजा करें।
- व्रत के पारण के समय पति को तिलक लगाएं और चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें।
- जरूरतमंदों को अन्न, फल, वस्त्र और धन का दान करें।
- व्रत के दिन सोलह श्रृंगार करें और पवित्रता का पूरा ध्यान रखें।
वट पूर्णिमा पर क्या न करें?
- इस दिन तामसिक भोजन (मांस, लहसुन, प्याज) से परहेज करें।
- झूठ बोलने, कलह करने या मन में नकारात्मक विचार लाने से बचें।
- बाल धोना या कटवाना वर्जित माना गया है।
- पूजा में अशुद्धता न रखें और धार्मिक नियमों का उल्लंघन न करें।
- एक दिन पहले सात्विक भोजन करना उचित होता है।
मान्यता और महत्व
वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं का वास माना जाता है। इस दिन वृक्ष की पूजा कर महिलाएं इन तीनों देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। व्रत के दौरान सत्यव्रत का पालन कर महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन में स्थायित्व और प्रेम की कामना करती हैं।