पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक काल भैरव जयंती, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान काल भैरव का अवतरण हुआ था। इस वर्ष काल भैरव जयंती 27 नवंबर यानी शनिवार के दिन मनाई जा रही है। काल भैरव जयंती के दिन भगवान शिव के रौद्र रूप, भगवान काल भैरव की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन विधि विधान और पूरी निष्ठा के साथ भगवान काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति के अंदर से भय समाप्त होता है। इसके अलावा काल भैरव भगवान की पूजा करने से ग्रह बाधा और शत्रु बाधा भी दूर होती है।
कैसे करें काल भैरव को प्रसन्न?
राशियों के मुताबिक पूजन-विधि
मेष राशि: इस दिन गुड़, जल और शहद से भगवान शिव का अभिषेक करें।
वृषभ राशि: गुड़, जल, तिल और दूध से भगवान का अभिषेक करें और शिव रुद्राष्टक का पाठ करें।
मिथुन राशि: जल, केसर, दूध और शहद से भगवान शिव का अभिषेक करें और ॐ नमः शिवाय मंत्र का जप करें।
कर्क राशि: दूध, दही, शहद, और गन्ने के रस से भगवान शिव का अभिषेक करें।
सिंह राशि: बेल का रस और शहद से शिवलिंग का अभिषेक करें और शिव चालीसा का पाठ करें।
कन्या राशि: शुद्ध घी, शहद और जल शिवलिंग पर अर्पित करें और ॐ नमः शिवाय मंत्र का जप करें।
तुला राशि: मुलेठी और गुड़ के रस से भगवान शिव का अभिषेक करें और शिव सहस्त्रनाम का जप करें।
वृश्चिक राशि: बेल का रस, भांग धतूरा भगवान शिव को अर्पित करें और रूद्राष्टक का पाठ करें।
धनु राशि: शिवलिंग पर दूध अर्पित करें और शिवाष्टक का पाठ करें।
मकर राशि: दूध, घी और सरसों के तेल से भगवान शिव की पूजा करें।
कुंभ राशि: गन्ने का रस और घी से शिवलिंग का अभिषेक करें। साथ ही शिवाष्टक का पाठ करें।
मीन राशि: दूध, दही, और शहद शिवलिंग पर अर्पित करें और भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र का जप करें।
काल भैरव जयंती 2021: क्या करें-क्या ना करें
क्या करें: