रायपुर। Magh Mass 2023:हिंदू संवत्सर के 11वें महीने को माघ मास के रूप में जाना जाता है, साल 2023 में माघ मास का शुभारंभ 7 जनवरी शनिवार को हो रहा है। इस माह से शुभ कार्यों के साथ मंगल कार्य भी शुरू हो जाते हैं। पूरे महीने स्नान, दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है पंडित मनोज शुक्ला के अनुसार वैसे तो पुण्य फल की प्राप्ति के लिए व्रत, तपस्या, दान करने को महत्व दिया जाता है, लेकिन इससे भी ज्यादा महत्व माघ मास में ब्रम्ह मुहूर्त में पवित्र नदियों में स्नान करने का माना जाता है। पुराणों में वर्णित है कि व्रतैर्दानस्तपोभिश्च न तथा प्रीयते हरिः। माघमज्जनमात्रेण यथा प्रीणाति केशवः। अर्थात माघ माह में ब्रम्ह मुहूर्त में स्नान करने मात्र से जितने तरह के पाप हैं उन सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
माघी पुन्नी का खास महत्व
यह भी मान्यता है कि माघ मास में सभी नदी, तालाब का पानी गंगा जल की तरह पवित्र हो जाता है। जो लोग पूरे माह स्नान नहीं कर सकते वे माघ माह की पूर्णिमा तिथि पर अवश्य ही स्नान करें। इस एक दिन स्नान करने से भी पूरे माह के स्नान का फल मिलता है। छत्तीसगढ़ में इसे माघी पुन्नी के नाम से जानते हैं। माघ माह में इस बार सप्तमी तिथि पर मकर संक्रांति पड़ रही है। इस दिन नदियों में स्नान करके तिल गुड़ का दान करना शुभदायी होगा। मत्स्य पुराण' के अनुसार 'ब्रह्मवैवर्त पुराण' का दान करने से ब्रह्मलोक का वास होता है।
माघ में पड़ती है षटतिला एकादशी
माघ माह की पहली एकादशी को षटतिला एकादशी कहते हैं। इस एकादशी का व्रत करके काला तिलअथवा काली गाय का दान करने से विशेष लाभ होता है। सुबह जल में तिल डालकर स्नान करें। पूजन हवन में भी तिल का उपयोग करना चाहिए।
इसी माह मौनी अमावस्या
माघ माह की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस दिन मौन व्रत रखने का महत्व है।
चार तिथि खास
शास्त्रीय मान्यता है कि माघ माह में यदि मंगलवार के दिन चतुर्थी हो , या रविवार को सप्तमी तिथि हो, बुधवार को अष्टमी हो और सोमवार को अमावस्या हो तो इसका वही महत्व है जो सूर्य ग्रहण का होता है। इन दिनों में ये तिथियां पड़े तो स्नान, दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
वसंत पंचमी महामुहूर्त
माघ शुक्ल की पंचमी तिथि को 'वसंत पंचमी' कहा जाता है। इसे महामुहूर्त भी कहा गया है। बिना पंचांग देखें कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। इस बार वसंत पंचमी 26 जनवरी को पड़ रही है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा करें। बच्चो को पहला अक्षर ज्ञान देने की शुरुआत पंचमी से ही करें। बच्चों को पहली बार अनाज यानी अन्नप्राशन संस्कार इसी तिथि पर करें।
अचला यानी सूर्य सप्तमी
माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को 'अचला सप्तमी' अथवा सूर्य सप्तमी कहा जाता है। सूर्य देव की पूजा, अर्घ्य देकर हवन करने से रोगों का निवारण और यश सम्मान की प्राप्ति होती है।